नई दिल्ली। दिल्ली बार कौंसिल चुनाव के मद्देनजर एडवोकेट सरफराज अहमद सिद्दीकी ने अपना घोषणापत्र जारी किया। इस घोषणापत्र में वकीलों के वेलफेयर पर विशेष जोर दिया गया है। युवा, महिला और बजुर्गों के लिए खास प्रावधान रखे गए हैं। बैलेट नंबर 156 पर चुनाव लड रहे एडवोकेट सरफराज अहमद सिद्दीकी ने कहा कि हमने अपनी बिरादरी के बेहतरी को हमेशा जेहन में रखा है। मैं जब दिल्ली बार कौंसिल में चुनाव जीतकर आउंगा, तो अपने वकील भाइयों-बहनों को साथ लेकर चलूंगा, जिससे सबका विकास होगा।
एडवोकेट सरफराज अहमद सिद्दीकी ने कहा कि सेवानिवृत अधिवक्ता जो 35 साल की प्रैक्टिस कर चुकेे हैं एवं 65 साल की आयु पार कर चुके हैं, उनको पेंशन दिया जाएगा। जरूरतमंद अधिवक्ताओं को स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए तत्काल आर्थिक सहायता दी जाएगी। महिलाओं को मातृत्व भत्ता दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि दिल्ली के तमाम कोर्ट परिसर में तमाम सुविधाओं से युक्त 25 बेहतरीन चैम्बर्स बनाए जाएंगे, जो सभी अधिवक्ताओं के लिए आधा घंटा से घंटा भर के लिए निःशुल्क होगा। बार कौंसिल आॅफ दिल्ली के अधिवक्ता इन चैम्बर्स में बैठकर अपने क्लाइंटस से बातचीत कर सकेंगे।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि बार कौंसिल में जब भी किसी अधिवक्ता के खिलाफ शिकायत होगी, तो उसके लिए एक समिति का गठन किया जाएगा, जो शिकायत की वास्तविक स्थिति का पता लगाएगी। उसके बाद ही उसे बार कौंसिल के अनुशानात्मक समिति को भेजा जाएगा। यदि शिकायतकर्ता ‘क्लाइंट’ की बातें झूठी साबित होती है, तो उनसे क्षतिपूर्ति के लिए उचित कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि हम अधिवक्ताओं के लिए ऐसा ढांचा (मैकेन्जिम) बनाएंगे, जिसमें हर स्तर (जूनियर, मिडिल और सीनियर) के अधिवक्ता अपना व्यवसायिक कौशल में वृद्धि कर सकेंगे, ताकि उनको पहले से अधिक आर्थिक लाभ मिले। उन्होंने बताया कि अधिवक्ताओं का एक ऐसा समूह बनाएंगे, जो जरूरत पडने पर साथियों के लिए कोर्ट में न्यूनतम दर पर बहस करेगी। इस भागीदारी ‘ हैण्डहोल्डिंग असिस्टेंस’ से जरूरतमंद अधिवक्ताओं को अधिक आर्थिक लाभ होगा, साथ ही उनके लीगल स्कील में भी निखार आएगा।
एडवोकेट सरफराज अहमद सिद्दीकी ने कहा कि दिल्ली बार कौंसिल में नए इनराॅल अधिवक्ताओं की सहूलियत के लिए प्लेसमेंट सेल का गठन किया जाएगा। साथ ही इन युवाओं को बार कौंसिल की ओर से एक साल तक प्रति माह पांच हजार रूपये बतौर स्टाइपेंड दिया जाएगा। बार कौंसिल यह सुनिश्चित कराएगी कि तमाम अधिवक्ताओं को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि जरूरत पडने पर अधिवक्ताओं को रेल टिकट उपलब्ध नहीं होती है। इसलिए हम भारतीय रेल से एक अलग कोटा बनवाने की कोशिश करेंगे, ताकि जरूरत पडने पर हमारे साथियों को रेल यात्रा (ट्रेन टिकट) के लिए तुरंत कंफर्म टिकट की व्यवस्था हो सके। हवाई यात्रा (एयर टिकट) में अधिवक्ताओं के लिए रियायती टिकट (बल्क रेट) का प्रावधान कराया जाएगा। जो एयर कंपनी काॅरपोरेट बल्क रेट पर किसी वकील को रियायती टिकट देने से मना करेगा, उस कंपनी को निगेटिव प्रोफाइल में डाल दिया जाएगा।
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