मुजफ्फरपुर(बिहार): यौनाचार कांड की CBI जांच की आवश्यकता से डीजीपी का इंकार

पटना(बिहार)। बिहार के DGP के एस द्विवेदी ने मुजफ्फरपुर यौनाचार कांड की CBI जांच की आवश्यकता से इंकार किया है। उन्होंने कहा कि जांच बिलकुल पारदर्शी और सही तरीके से हुई है। 11 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया जिसमें से मुख्य अभियुक्त समेत 10  की गिरफ्तारी हो चुकी है। एक फरार है। गौरतलब है कि इस प्रेस कांफ्रेंस के कुछ ही देर पहले लोकसभा में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि राज्य सरकार अनुशंसा करेगी तो तो वे मामले की CBI जांच कराने को तैयार हैं।

मुजफ्फरपुर यौनाचार कांड का मामला मंगलवार को अचानक तूल पकड़ गया। संसद से लेकर सड़क तक विरोध की आवाज के साथ मामले की CBI जांच की मांग जोर पकड़ने लगी। लोकसभा में कांग्रेस की रंजीता रंजन और RJD के जयप्रकाश नारायण यादव ने यह मामला उठाया। राज्यसभा में RJD के मनोज झा ने यह मामला उठाया। बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों में इस सवाल पर विपक्ष के कारण कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। उधर पटना के गाँधी मैदान में पद्मश्री सुधा वर्गीज और कंचनबाला के नेतृत्व में महिलाओं ने राज्य में बढ़ती  रेप की घटनाओं के विरोध में 48 घंटे का अनशन शुरू कर दिया है।

इसी बीच आनन फानन में DGP और समाज कल्याण विभाग के प्रधान सचिव अतुल प्रसाद ने पटना में प्रेस कांफ्रेंस बुला कर विस्तार से पूरे मामले की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जांच अब अंतिम चरण में है। वे जांच से पूरी तरह संतुष्ट हैं। इसलिए CBI जांच की जरुरत वे नहीं समझते। श्री प्रसाद  ने कहा कि इस घृणित कांड का खुलासा सरकार की पहल पर ही हुआ। इसलिए इसमें छिपाने जैसी कोई बात नहीं है।

उन्होंने  बताया  कि मुजफ्फरपुर रिमांड होम में कुल 42 लड़कियां थीं। उनमें 40 का मेडिकल कराया गया जिसमे 29 के साथ रेप की पुष्टि हुई। यह जाँच सोशल ऑडिट की रिपोर्ट आने के बाद कराई गई। रिपोर्ट में रेप की बात कही गई थी। प्रधान सचिव ने बताया कि रिमांड होम्स की गड़बड़ियों को जानने के लिए ही बाहरी एजेंसी से सोशल ऑडिट कराई गई। ताकि निष्पक्ष रिपोर्ट मिल सके। हमें हमारी खामियों का पता चल सके। मुजफ्फरपुर की जो संस्था रिमांड होम चला रही थी वह 2013 से काम कर रही है। उसे काली सूची में डाल दिया गया है। वहां रिमांड होम को बंद कर दिया गया है। संस्था के संचालक ब्रजेश ठाकुर समेत 10 लोग गिरफ्तार कर लिए गए हैं। गिरफ्तार लोगों के नाम लड़कियों ने बताये थे।

एक  सवाल के जवाब में श्री प्रसाद ने बताया कि अप्रैल 2018 में टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज ने 100 पेज की ऑडिट रिपोर्ट विभाग को दी। फिर पुलिस के साथ मिलकर उसपर कार्रवाई की गई।

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