नई दिल्ली। एडल्ट्री कानून पर सुप्रीम कोर्ट आज अपना फैसला सुनाना शुरू कर दिया है जिसमें इस एडल्ट्री कानून को असंवैधानिक ठहराया गया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा महिला की गरिमा सबसे उपर है और पति महिला का मालिक नहीं है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि महिलाओं और पुरुषों के अधिकार एक समान हैं इसमें किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जा सकता।
इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने की पांच जजों वाली संवैधानिक पीठ ने एडल्ट्री को परिभाषित करने वाली IPC की धारा 497 की वैधता खारिज करने को लेकर दायर की गई याचिका पर 23 अप्रैल को मामले की सुनवाई होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस बात को माना था कि एडल्टरी अपराथ है और इसकी वजह से परिवार और विवाह दोनों ही बर्बाद होते हैं।आईपीसी की धारा-497 (एडल्टरी) के प्रावधान के तहत अभी तक सिर्फ पुरुषों को ही अपराधी माना जाता है जबकि इसमें महिला को पीड़ित मानी गई है।
एडल्ट्री कानून के तहत अगर कोई विवाहित महिला अपने पति की मर्जी के बिना किसी दूसरे पुरुष के साथ सेक्स संबंध बनाती है तो उस मामले में पुरुष को पांच साल की सजा हो सकती है। एडल्ट्री की परिभाषा को तय करने वाली आईपीसी की धारा 497 में सिर्फ पुरुषों के लिए सजा का प्रावधान किया गया है। जिसके चलते इस एडल्ट्री लॉ को खत्म किए जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है।
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