दस्यु सुंदरी फूलन की दास्तान: बेहमई हत्याकांड में चार दशक बाद भी फैसले का इंतजार

…डॉ.समरेन्द्र पाठक….
वरिष्ठ पत्रकार एवं चिंतक
……………………………

नई दिल्ली। भारतीय इतिहास की एक अनोखी घटना जब दस्यु सुंदरी फूलन देवी एवं उसके गिरोह के डकैतों ने एक साथ 20 लोगों को लाइन में खड़ा कर गोलियों से भून डाला था, जिसे आज भी याद कर लोगों की रूहें कांप उठती है, चार दशक बाद भी इस मामले में फैसले का इंतजार है।

इस चर्चित घटना की सुनवाई विशेष अदालत में 39 साल में पूरी हुई। गत 18 जनवरी को फैसला आना था, लेकिन ऐन मौके पर टल गया। अब फैसले का इंतजार है। इसे बेहमई हत्या कांड के नाम से जाना जाता है।

प्रतिशोध, नफरत एवं सामाजिक कुरीति की शिकार फूलन देवी ने नरसंहार की इस घटना को अंजाम दिया था।

इस हत्याकांड के मुख्य वादी राजा राम सिंह हैं और प्रतिवादी फूलन देवी थीं। जिसकी हत्या हो चुकी है।

दस्यु सुंदरी फूलन देवी ने 14 फरवरी 1981 को उत्तर प्रदेश में कानपुर देहात के बेहमई गांव में 20 लोगों को लाइन में खड़ा कर गोलियों से भून दिया था।

कानपुर देहात के बीहड़ क्षेत्र बेहमई में हुए इस हत्याकांड के बाद गांव के लोगों ने मरने वालों की याद में एक स्मारक बनाया है। यहां पत्थर भी लगाया गया है, जिस पर उनका नाम खुदा है।

सरकारी वकील राजू पोरवाल के अनुसार वर्ष 2011 में जब ट्रायल शुरू हुआ था तब 5 आरोपी थे, जिसमें से एक आरोपी की जेल में ही मौत हो गयी थी और जिस दिन घटना हुई थी, उस दिन दर्ज एफआईआर में पुलिस ने चार खूंखार डकैतों फूलन देवी, राम औतार, मुस्तकीम एवं लल्लू सहित 35-36 डकैतों को आरोपी बनाया था।

सरकारी वकील के अनुसार आरोप पत्र दाखिल होने के बाद कभी सारे आरोपी एक साथ अदालत में हाज़िर नहीं हो पाए ।इस वजह से ट्रायल समय पर शुरू नहीं हो पाया। अब चार आरोपी बचे है।

डकैतों की ओऱ से वकील रघुनंदन सिंह के अनुसार इसमें जो मुख्य आरोपी थे, उनकी मौत हो चुकी है और कुछ हाज़िर नहीं हुए, अब चार लोग बचे हैं, ये मुख्य आरोपी नहीं हैं।

इस घटना में जगन्नाथ सिंह, तुलसीराम, सुरेंद्र सिंह, राजेंद्र सिंह, लाल सिंह, रामाधार सिंह, वीरेंद्र सिंह, शिवराम सिंह, रामचंद्र सिंह, शिव बालक सिंह, नरेश सिंह, दशरथ सिंह, बनवारी सिंह, हिम्मत सिंह, हरिओम सिंह, हुकुम सिंह समेत 20 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी। जंटर सिंह समेत आधा दर्जन ग्रामीण गोली लगने से घायल हुए थे।

डकैत से सांसद बनी फूलन देवी का जन्म10 अगस्त 1963 को उत्तर प्रदेश के जालौन के घूरा का पुरवा गांव में एक मल्लाह परिवार में हुआ था।

फूलन देवी का बचपन बेहद गरीबी में बीता था, लेकिन वह बचपन से ही दबंग थीं। 10 साल की उम्र में जब उन्हें पता चला कि चाचा ने उनकी जमीन हड़प ली है, तो चचेरे भाई के सिर पर ईंट मार दी थी। फूलन के घरवाले उनकी इस हरकत से इतना नाराज हो गए थे ,कि महज 10 साल की उम्र में अधेड़ उम्र के व्यक्ति से उसकी शादी कर दी गयी थी।

शादी के बाद पति ने फूलन के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया। धीरे-धीरे फूलन की तबीयत इतनी बिगड़ गई, कि उसे मायके आना पड़ गया। जहाँ सामंतियों के जुल्म ने फूलन को डाकू बना दिया और प्रतिशोध में उन्होंने नरसंहार की घटना को अंजाम दिया।

इस घटना से फूलन देवी चर्चा में आयी और समर्पण के बाद उत्तर प्रदेश की मिर्जापुर सीट से सपा से सांसद बनी। फूलन की जीवनी पर आधारित फिल्म “वेंडिट क्वीन”है।

बताया जाता है, कि जब फूलन महज 17 साल की थी तब उसी गांव के लालाराम और श्रीराम ने अपने 20 साथियों सहित उसके साथ कई दिनों तक गैंगरेप किया था और नंगा करके पूरे गांव में घुमाया था।

इसके बाद फूलन ने बीहड़ में गैंग तैयार किया और अपने शोषण का बदला लेने के लिए इस नरसंहार को अंजाम दिया था।

बेहमई कांड के बाद फूलन देवी ने मध्य प्रदेश पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया था। सांसद चुने जाने के पहले वह काफी दिनों तक ग्वालियर और जबलपुर जेल में रहीं थी।

वर्ष 2001 में शेर सिंह राणा ने दिल्ली में फूलन देवी के घर के बाहर ही उनकी हत्या कर दी थी, जिसे वर्ष 2014 में आजीवन कारावास की सजा हुई।

बेहमई कांड में तीन डकैत अभी भी फरार है,जबकि भीखा, श्याम बाबू एवं विश्वनाथ उर्फ पूतानी जमानत पर हैं। नामजद डकैत विश्वनाथ उर्फ अशोक और रामकेश फरार हैं। पुलिस अभी तक उन्हें तलाश नहीं पाई है।

गवाही के दौरान अभियोजन के पत्र पर मान सिंह को भी आरोपी बनाया गया । तब से वह भी फरार चल रहा है।

पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार बेहमई कांड की मुख्य आरोपित दस्यु सुंदरी फूलन देवी की नई दिल्ली में हत्या हो चुकी है। जालौन के कोटा कुठौंद के रामऔतार, गुलौली कालपी के मुस्तकीम, बिरही कालपी के लल्लू बघेल, बलवान, कालपी के लल्लू यादव, कोंच के रामशंकर, डकोर कालपी के जग्गन उर्फ जागेश्वर, महदेवा कालपी के बलराम, टिकरी के मोती, चुर्खी के वृंदावन, कदौली के रामप्रकाश, गौहानी सिकंदरा के रामपाल, मेतीपुर कुठौंद के प्रेम, धरिया मंगलपुर के नंदा उर्फ माया मल्लाह की भी मौत हो चुकी है।