बिहार में चुनाव पूर्व जातीय हिंसा का खेल!

-डॉ.समरेन्द्र पाठक

वरिष्ठ पत्रकार एवं चिंतक

बिहार में चुनावी रंजिश , जातीय हिंसा एवं नरसंहार का पुराना इतिहास रहा है। वर्ष 1977 में बेलछी नरसंहार में 14 व्यक्तियों की हत्या कर दी गई थी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने हाथी से यहां का दौरा किया था। इसके बाद भी बिहार में ऐसी कई घटनाएं हुई, जिसमें वर्ष 1992 में बारा में 35 , वर्ष 1996 में बथानी में 22 , वर्ष 1999 में शंकर बिगहा में 22 एवं वर्ष 2000 में मियापुर नरसंहार में 35 लोग मारे गए थे। ऐसी कई अन्य घटनाओं से बिहार दहलता रहा है।


पटना। बिहार में इस वर्ष के अंत में होने वाले विधान सभा चुनाव से पूर्व जातीय हिंसा का खेल शुरू हो गया है।
राज्य के गोपालगंज जिले के हथुआ थाना क्षेत्र में गत दिनों अगड़ी जाति के एक व्यक्ति की हुई हत्या के जवाब में इसी क्षेत्र में 24 मई को पिछड़ी जाति के तीन व्यक्तियों की हत्या के वाद पक्ष-विपक्ष की सक्रियता ऐसा ही संकेत दे रहा है।
गोपालगंज की इन घटनाओं की जड़ में जो भी हो, लेकिन जिस तरह से आपराधिक घटनाओं को रंग दिया जा रहा है, उसे अच्छा संकेत नहीं माना जा सकता है।
पुलिस ने बताया कि पीड़ित जय प्रकाश यादव के बयान पर इस हत्याकांड में चार लोगों को नामजद किया गया है। इस मामले में विधायक पप्पू पाण्डेय पर हत्या की साजिश रचने का आरोप है।
हालांकि राज्य के गोपालगंज एवं इससे सटे सीवान जिले का पिछले तीन दशक का इतिहास भी विचित्र रहा है। यहां दो पक्षों में रैक पर एकाधिकार एवं वर्चश्व को लेकर खूनी संघर्ष का दौर चलता रहा है।
इन दशकों में गोपालगंज जिला वैसे भी सुर्खियों में रहा, क्योंकि पिछड़ी राजनीति के पुरोधा राजद प्रमुख लालू यादव का गृह जिला रहा है। गोपालगंज की ताज़ा घटनाओं ने राज्य में जातीय हिंसा के जख्म को ताजा कर दिया है।
पुलिस के अनुसार हथुआ थाना क्षेत्र में कुछ दिन पहले मुन्ना तिवारी की हत्या कर दी गयी थी।इस घटना के जवाब में 24 मई को इसी थाना क्षेत्र के रुपनचक में गोलीबारी की घटना हुई,जिसमें जय प्रकाश यादव के पिता और माता सहित तीन व्यक्तियों की मौत हो गई तथा वह स्वयं घायल हो गए।
पुलिस ने जख्मी जय प्रकाश यादव के बयान के आधार पर चार व्यक्तियों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज की है।जिसमें सतीश पांडेय और मुकेश पांडेय को गिरफ्तार किया जा चुका है।इस कांड में सत्तारूढ़ दल के विधायक पप्पू पांडेय पर साजिश रचने का आरोप लगाया गया है।संपूर्ण मामले की एसआईटी और सीआईडी जांच कर रही है।
पुलिस के अनुसार मुन्ना तिवारी की हत्या के मामले में परमेन्द्र यादव, मुन्ना यादव, मन्नु तिवारी और जय प्रकाश यादव को नामजद किया गया है। जय प्रकाश यादव पर हत्या की साजिश रचने का आरोप है। मुन्ना यादव को गिरफ्तार किया जा चुका है।
तिहरे हत्या के बाद बिहार विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने राज्य सरकार पर दोषियों को संरक्षण देने का आरोप लगाते हुए जदयू विधायक को शीघ्र गिरफ्तार करने की मांग की है।
जदयू विधायक पप्पू पांडेय ने भी जवाब में लालू राज में हुई घटनाओं का जिक्र करते हुए जवाबी रैली निकालने की चेतावनी दी है।उन्होंने अपने को निर्दोष भी बताया है।
बहरहाल इन घटनाक्रमों की जांच से जो भी तथ्य उभरकर सामने आये, लेकिन इतना तय है, कि चुनाव पूर्व जातीय हिंसा की घटनाएं शुरू हो चुकी है। ऐसी घटनाओं पर अंकुश जरुरी है।