बिहार: कोरोना कहर व बाढ़ विभीषिका के बीच मौजूदा हालात बिहार में चुनाव के लिये उपयुक्त नही: नरेंद्र सिंह(पूर्व कृषि मंत्री)

पटना। बिहार के पूर्व कृषि मंत्री व जाने माने किसान नेता श्री नरेन्द्र सिंह ने बहरहाल बिहार में चुनाव रोकने के लिये भारत सरकार, चुनाव आयोग व सभी राजनीतिक दलों से एक मार्मिक अपील की है।
श्री नरेन्द्र सिंह का कहना है, कि कोरोना कहर व बाढ़ की विभीषका के बीच मौजूदा हालात में बिहार में चुनाव कराना तर्कसंगत नही है। बहरहाल समय है, कोरोना से निजात व बाढ़ पीड़ितों की जख्मों पर मलहम की दिशा में आवश्यक पहल करने की।

श्री नरेन्द्र सिंह की अपील-

”आप सभी उच्च पदों पर बैठे लोगों से यह छुपा नहीं है, कि संपूर्ण बिहार कोरोनावायरस और बाढ़ से भयानक रूप से आक्रांत है।
अभी अभी कल ही राष्ट्र के धरोहर महान समाजवादी नेता रघुवंश प्रसाद सिंह का निधन भी कोरोना के कारण ही हुआ है। न सिर्फ रघुवंश बाबू बल्कि अनेक राजनीतिक व सामाजिक कार्यकर्ताओं, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों, दर्जनों चिकित्सकों, चिकित्सक कर्मचारियों व पत्रकारों सहित समाज के हजारों अमूल्य आम नागरिकों की मौत हो चुकी है और मौत का सिलसिला जारी है।
कोरोना का आक्रमण रुका नहीं है। दिनों दिन बढ़ते जा रहा है। इलाज की व्यवस्था नदारद है। इसके रोकथाम की समुचित व्यवस्था भी नहीं है।
वहीं, दूसरी तरफ पूरा उत्तर बिहार आज जलमग्न है। बाढ़ की विभीषिका से लोग त्रस्त हैं। सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है। अरबों की संपत्ति को बाढ़ ने निगल लिया है। बच्चे लोग गांव छोड़कर खुले आसमान के नीचे सड़कों या ऊंची बांधों पर भूख प्यास और महामारी के शिकार हो रहे हैं।
हालात बहुत ही भयानक है। किंतु सत्ता और विपक्ष सत्ता की होड़ में चुनाव कराने के लिए व्याकुल है। दोनों ही पक्ष वर्चुअल रैली में करोड़ों अरबों की राशि व्यय कर रहे हैं। आखिर यह पैसा कहां से आ रहा है! साफ तौर पर यह काला धन देश के भ्रष्ट पूंजी पतियों से प्राप्त कर सत्ता के भूखे भेड़िए चुनाव कराकर जनता के साथ क्रूर मजाक कर रहे हैं।
चुनावी माहौल में करोड़ों अरबों की योजनाओं का शिलान्यास वोट के लिए किया जाना क्या उचित है?
अभी जरूरत है आम लोगों की जिंदगी कोरोना और बाढ़ से बचाने की। ना कि चुनाव कराने की। चुनाव अगर दो-तीन महीने बाद भी होगा, तो क्या बिगड़ जाएगा। संवैधानिक मजबूरी भी नहीं है।
अतः मैं अपील करता हूं कि आमजन के बहुमूल्य जीवन को चुनाव कराकर मौत के मुंह में नहीं झोंका जाए।
चुनाव को रोककर करोना बीमारी तथा बाढ़ पीड़ितों को बचाने के लिए युद्ध स्तर पर कार्य किए जाएं। इस समय अगर चुनाव होगा, तो इतने व्यापक तौर पर लोग करोना से प्रभावित होकर मरेंगे कि उनके जनाजे को कंधा देने वाले भी नहीं मिलेंगे।
बाढ़ पीड़ित वोट देने से भी वंचित रहेंगे। अतः चुनाव आयोग भारत सरकार और सभी दलों से पुनः अपील है कि अविलंब चुनाव स्थगित किया जाए व फरवरी-मार्च में चुनाव कराए जाएं।”