दिल्ली: जदयू के छह विधायकों के भाजपा में शामिल होने से तकरार!

– डॉ.समरेन्द्र पाठक की कलम से-

नई दिल्ली(एजेंसी)। बिहार में सत्तारूढ़ गठबंधन का नेतृत्व कर रहे जदयू एवं भाजपा के बीच सबकुछ सामान्य नहीं चल रहा है।इसी वजह से राज्य में मंत्रिमंडल विस्तार तथा विधान परिषद में रिक्त पदों को भरने का मामला लंबित है।
उधर जदयू कोई मौका खोना नहीं चाहता है। इसी क्रम में उसने पश्चिम बंगाल में 75 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की, तो जवाबी कार्रवाई में भाजपा ने अरुणाचल प्रदेश में उसके सात में से छह विधायकों को अपने पाले में मिला लिया। अब वहां जदयू के पास केवल एक विधायक रह गया है। हालांकि वहां सरकार भाजपा की है और जदयू को विपक्ष का दर्जा मिला हुआ था।
अरुणाचल प्रदेश की विधान सभा में कुल 60 सीट हैं। विधायकों के पार्टी बदलने के बाद अब भाजपा के पास 48 विधायक हो गए हैं, जबकि जदयू का सिर्फ एक विधायक रह गया है। कांग्रेस और नेशनल पीपल्स पार्टी के चार-चार विधायक हैं।
ताज़ा राजनीतिक घटनाक्रम पर जदयू प्रमुख एवं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पत्रकारों के सवाल के जवाब में कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है। दो दिन बाद राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक है और उसमें इस बिन्दु पर विस्तार से चर्चा की जायेगी।
हालांकि जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता के.सी.त्यागी ने कहा है,कि अरुणाचल प्रदेश में जदयू को तोड़े बिना भी भाजपा की सरकार सहजता से चल रही थी। जदयू वहां रचनात्मक विपक्ष के रूप में था। उन्होंने भाजपा के इस कदम को गैर दोस्ताना बताते हुए इसे गलत करार दिया है।
दरअसल जदयू एवं भाजपा के बीच यह आतंरिक कलह काफी समय से चल रहा है। मगर दोनों ने मिलकर बिहार में चुनाव लड़ा और वहां गठबंधन की सरकार भी चल रही है, लेकिन अंदर खाने सब ठीक नहीं है। कई पेंच फंसा हुआ है।
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि जदयू बिहार चुनाव में राज्य में तीसरे नंबर की पार्टी बनने के वाद भी अपने अकड़ से वाज नहीं आ रहा है। भाजपा जब पूरी ताकत आगामी बंगाल चुनाव में लगा रखी है,तो जदयू बिहार में गठबंधन का नेतृत्व करने के बाबजूद वहां 75 सीटों पर लड़ने की घोषणा कर दी। यह क्या है?
उन्होंने कहा कि जदयू ने इस वर्ष दिल्ली विधान सभा चुनाव के समय भी भाजपा के साथ ऐसा ही मोलभाव करने का प्रयास किया था और भाजपा को उसके लिए पूर्वान्चल बाहुल्य दो सीट छोड़ना पड़ा था। हालांकि श्री कुमार पूरी कैबिनेट उतारने के बाबजूद एक भी सीट नहीं जीत पाए। जदयू को अपनी वास्तविक स्थिति को समझना चाहिए।एल.एस।