बिहार: सेवा-मुक्त 72 संविदा दंत चिकित्सकों की व्यथा किसने पढ़ी!

पटना। आठ से चौदह वर्षों तक बिहार के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में निष्ठा भाव से सेवा देने के अलावा केंद्र व राज्य सरकार के ज्यादातर योजनाओं के कार्यान्वयन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने वाले संविदा आधारित 72 दंत चिकित्सक राज्य के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा कोरोना महामारी के प्रारंभिक काल मे सेवा मुक्त कर दिए जाने से फटेहाल व बदहाल जिंदगी जीने को विवश है। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है, कि इनकी पीड़ा पर न राज्य सरकार का ध्यान है, न संबद्ध आला अधिकारियों का।
बता दें कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा सेवा मुक्त 72 संविदा दंत चिकित्सको के सामने जहां आज जीवन-यापन के लिए रोजी-रोटी का संकट है। वहीं महामारी काल मे चिकित्सकों की भी कमी है। ऐसे में इस दिशा में इनकी उपेक्षा, समझ से परे है।

डॉक्टर श्रीप्रकाश(अध्यक्ष, बिहार दंत चिकित्सक संघर्ष मोर्चा)

सबसे बड़ा सवाल यह है कि करीब 14 वर्षों तक सेवा देने वाले सेवा मुक्त 72 दंत चिकित्सक उम्र के इस पड़ाव में अपनी जीविका के लिए अब कहां जाएं? यह सभी अपनी पुनः बहाली को लेकर स्वास्थ्य विभाग व संबद्ध आला अधिकारियों के दफ्तर का चक्कर लगाते-लगाते थक चुके हैं। लेकिन किसी ने इनकी पीड़ा पर कोई ध्यान नही दिया।
बिहार राज्य दंत चिकित्सक संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष व बिहार के जाने-माने दंत चिकित्सक डॉक्टर श्रीप्रकाश कुमार ने बताया कि बिहार लोक सेवा आयोग में चयन से वंचित रह गए 72 संविदा दंत चिकित्सकों को बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा 25 फरवरी, 2020 को बिना किसी पूर्व नोटिस के सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। जबकि सेवामुक्त यह सभी दंत चिकित्सक राज्य के विभिन्न जिलों में 8 से 14 वर्ष तक संविदा पर अपनी सेवा दे रहे थे।
डॉक्टर श्रीप्रकाश की माने, तो वर्ष 2015 में दंत चिकित्सकों की नियुक्ति के लिए बिहार लोक सेवा आयोग की ओर से आवेदन-पत्र आमंत्रित किये गए थे। इसके लिये वर्ष 2018 में साक्षात्कार लिया गया था। उन्होंने बताया कि साक्षात्कार में धांधली हुई थी। इस लिए उनलोगों ने न्याय के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जहां कोरोना दौर की वजह से मामला अभी लंबित है।