नई दिल्ली: आतंकवाद से जंग के लिए मिला नया हथियार ‘NIA’

नई दिल्ली। आतंकवाद की वारदात संगठन/संस्था नहीं, व्यक्ति करता है। व्यक्ति ही संस्था/संगठन बनाते हैं। सरकार एक संगठन पर प्रतिबंध लगाती है, तो वह व्यक्ति संस्था का नाम बदलकर कर दूसरे नाम से संस्था/ संगठन बना लेते हैं।
फिर उस पर प्रतिबंध लगाने और सबूत जुटाने में दो साल ओर लग जाते हैं। इस दौरान वह आतंकवाद फैलाते रहते हैं। संस्थाओं पर प्रतिबंध कब तक लगाते रहेंगे?
जब तक आतंकवादी गतिविधियों में शामिल व्यक्ति को आतंकवादी घोषित नहीं करते, इनके काम पर रोक नहीं लग सकती।
इसलिए आतंकवाद पर काबू पाने के लिए व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने की जरूरत है।
गृहमंत्री अमित शाह ने राज्य सभा में गैर कानूनी गतिविधि निवारण (संशोधन) बिल के समर्थन में यह बात कही।
इसका उदाहरण उन्होंने आतंकी यासीन भटकल के मामले से दिया। कई वारदात में शामिल इंडियन मुजाहिदीन के आतंकवादी यासीन भटकल को कोलकाता पुलिस ने पकड़ा था। लेकिन यासीन ने उस समय अपना फर्जी नाम पुलिस को बताया और बाद में जमानत पर रिहा हो गया। पुलिस के पास उस समय उसकी फोटो और फिंगर प्रिंट आदि नहीं थी।
गृहमंत्री ने कहा कि यासीन भटकल को अगर साल 2009 में आतंकवादी घोषित किया गया होता, तो उसकी फोटो और फिंगर प्रिंट आदि देशभर के सभी थानों में होते और तो वह कोलकाता पुलिस से एनआईए की जद में आ जाता।

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