भाजपा और आप पार्टी व्यापारियों की लड़ाई लड़ने की बजाए आपस में लड़ रहे है, जो कि बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है- अजय माकन

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष श्री अजय माकन ने दिल्ली में हो रही सीलिंग को लेकर टैंक रोड़, करोल बाग में व्यापारियों द्वारा की गई एक दिन की भूख हड़ताल में शिरकत की और व्यापारियों को बताया कि किस प्रकार निगम गैर कानूनी तरीके से उनसे कन्वर्जन शुल्क वसूलने की आड़ में उनके व्यापारिक संस्थानों को सील कर रही है, जिसके कारण दिल्ली के 8,75,000 व्यवसायिक संस्थान प्रभावित हो रहे है जिसमें 5,12,000 के करीब दुकाने शामिल है। श्री अजय माकन ने व्यापारियों को सीलिंग न हो इसको लेकर कानून का हवाला देते हुए सुझाव दिए। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष श्री अजय माकन ने मानिटरिंग कमेटी से दिल्ली में सीलिंग को रुकवाने के लिए अपना कानूनी पक्ष रखने के लिए समय मांगा है और यदि मानिटरिंग कमेटी ने उनकी बात नही सुनी तो वे सर्वोच्च न्यायालय जाऐंगे।

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष श्री अजय माकन ने  प्रदेश कार्यालय में 2-3 फरवरी को दिल्ली के व्यापारियों द्वारा सीलिंग के खिलाफ बुलाए गए बंद का समर्थन करने के पक्ष में एक बैठक बुलाई जिसमें पूर्व सांसद, पूर्व मंत्री व विधायक, निगम पार्षद, पूर्व निगम पार्षद ब्लाक व जिला अध्यक्षों सहित सैंकड़ो कांग्रेस कार्यकर्ता मौजूद थे। श्री माकन ने कहा कि दिल्ली कांग्रेस 2-3 फरवरी को दिल्ली के व्यापारियों द्वारा सीलिंग के खिलाफ बुलाए गए बंद का समर्थन करेगी तथा कांग्रेस कार्यकर्ता ब्लाक व जिला अध्यक्षों सहित अलग-अलग बाजारों में व्यापारियों का समर्थन करने ज्यादा से ज्यादा संख्या में जाऐंगे।

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष श्री अजय माकन ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस लीगल सेल के चैयरमेन एडवोकेट सुनील कुमार दिल्ली के व्यापारियों को सीलिंग से राहत दिलाने के लिए मुफ्त कानूनी सलाह देने के लिए टीम गठित करेंगे। श्री अजय माकन ने कहा कि भूख हड़ताल पर बैठे व्यपारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि दिल्ली मुख्यतः व्यापारियों और कर्मचारियों का शहर है, इसलिए दिल्ली को बर्बाद होने से बचाने के लिए दिल्ली के व्यापारियों के सर पर लटक रही सीलिंग की तलवार को हटाने के लिए तुरंत समाधान निकाले जाए। उन्होंने कहा कि व्यापारियों को दिल्ली में व्यापार करने का कानून अधिकार है, उन्हें किसी से भी दया की भीख नही मांगनी चाहिए।

श्री माकन ने कहा कि आज बड़ी अजीब स्थिति है कि प्राईवेट मार्केट कोर्ट जा रही है और चाहे आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार हो या भाजपा की निगम सरकार हो दोनो सीलिंग के मुद्दे पर हड़ताल कर रहे है, जबकि सरकार को इस मुद्दे पर कोर्ट जाना चाहिए और व्यवसायिक संस्थानों  को हड़ताल करनी चाहिए। श्री माकन ने कहा कि 2006 में जिस समय दिल्ली में सीलिंग की तलवार लटकी थी उस समय कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार ने कोर्ट में जाकर तथा कानून बनाकर लोगों की रोजी रोटी छिनने से बचाई थी। श्री माकन ने कहा कि भाजपा और आप पार्टी व्यापारियों की लड़ाई लड़ने की बजाए आपस में लड़ रहे है, जो कि बड़ा दुर्भाग्य पूर्ण है

श्री माकन ने कहा कि भाजपा की केन्द्र सरकार और आप पार्टी की दिल्ली सरकार को बिना देरी किए सर्वोच्च न्यायालय में अपना पक्ष रखते हुए लोगों को राहत दिलाने के लिए सीलिंग बंद करवानी चाहिए और केन्द्र सरकार जल्द अध्यादेश लाए ताकि सीलिंग के कारण लोगों की बर्बाद होती जीविका को बचाए जा सके।  श्री माकन ने कहा कि दिल्ली सरकार को बची हुई सड़कों को तुरंत नोटिफाई करके कोर्ट को सूचित करना चाहिए न कि बची हुई 300 के करीब सड़कों को नोटिफाई की आज्ञा के लिए कोर्ट जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि कानून में कोई विसंगति है तो उसको दूर किया जाए, लोकल शापिग काम्पलेक्स का एफएआर बढ़ाया जाए, बेसमेन्ट तथा अन्य जगह जिनको सील किया गया उनको तुरंत डी-सील किया जाए, 2021 के मास्टर प्लान के प्रावधानों को स्पष्ट किया जाए या उसमें बदलाव किया जाए, स्पेशल एरिया में जब तक रिडेवलेपमेन्ट प्लान नही बनता तब तक यथास्थिति बनाई जानी चाहिए। श्री माकन ने कहा कि 16 फरवरी 2006 में जिस समय कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार थी उस समय भी सर्वोच्च न्यायालय ने घरों में चलने वाले व्यवसायिक संस्थानों को सील करने के आदेश दिए थे और 24 मार्च 2006 को सर्वोच्च न्यायालय ने श्री के.जे. राव, श्री भूरे लाल व सेवानिवृत मेजर जनरल सोम झींगन के सदस्य वाली माॅनिटरिंग कमेटी बनाई थी। श्री माकन ने कहा कि कांग्रेस की केन्द्र सरकार ने भारत के एडवोकेट जरनल श्री गुलाम वाहनवती के द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में सीलिंग को लेकर चल रहे मुकद्में में दखल दिया। श्री माकन ने कहा कि हमने एक हफ्ते में सीलिंग को रुकवाने के मामले में कानून पास करके लागू भी कर दिया।  उन्होंने कहा कि 12 मई 2006 को लोकसभा में दिल्ली लॉज़ (स्पेशल प्रोविजन) बिल2006 मे पास किया तथा 15 मई 2006 को राज्यसभा में पास हुआ तथा 19 मई 2006 को महामहिम राष्ट्रपति की अनुशंसा के बाद इस कानून को गजट में छाप दिया गया। श्री माकन ने कहा 13 मई 2006 को तेजेन्द्र खन्ना की अगुवाई वाली कमेटी ने एफएआर तथा सपोर्टिंग मिक्स लैड यूज बढ़ाने के लिए अपनी रिपोर्ट दे दी। 20 मई 2006 को केन्द्र सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी किया जिसमें स्थानीय निकाय द्वारा दिए गए नोटिसों पर स्टे लगा कर यथास्थिति बना दी थी। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार मास्टर प्लान में संशोधन करके 7 व15 सितम्बर 2006 को तकरीबन 2002 सड़के/सड़कों के टुकड़ों को मिक्स यूज़ में नोटिफाई कर दिया। श्री माकन ने कहा कि हमने 2021 के मास्टर प्लान को मार्च 2007 में नोटिफाई कर दिया था तथा उसके बाद 2007-2008 में हमने जनता की भागीदारी के द्वारा इसकी कमियों को हटाकर इसमें 9-10 बार संशोधन करके इसको और सरल बना दिया। जिसके परिणामस्वरुप जनवरी 2012 में सर्वोच्च न्यायालय ने मानिटरिंग कमेटी को खत्म कर दिया। श्री माकन ने कहा कि निगम 10 वर्ष के पश्चात कन्वर्जन शुल्क नही ले सकती और यदि निगम ऐसी मांग कर रही है तो वह गैर कानूनी है।  श्री माकन ने 22 जून 2007 के Delhi Development Authority (Fixation of Charges for Mixed Use and Commericial Use of Premises) Regulation 2006का हवाला देते हुए कहा कि ए और बी केटेगरी की कालोनियों में घरेलू एवं व्यवसायिक लैंड के इस्तेमाल का अंतर 30,680 रुपये था इसका 25 प्रतिशत 7,670 रुपये बैठता है तथा इसको10 साल में देना था जो कि प्रतिवर्ष 767 रुपये बैठता है और यदि कोई एकमुश्त पैसा जमा कराना चाहता था तो उसको 767×8 अर्थात केवल 6,136 रुपये जमा कराने थे। इसी प्रकार यह सी.डी. केटेगरी के लिए 66 प्रतिशत तथा ईएफजी केटेगरी को ए और बी केटगरी का 25 प्रतिशत देना था। पूरे रेगुलेशन के पीछे मत यह था कि 10 वर्षों में डेफिसेन्सी शुल्क का 25प्रतिशत लिया जाए। 10 वर्षों के बाद कन्वर्जन शुल्क लेना गैर कानूनी है। श्री माकन ने कहा कि मास्टर प्लान के पेरा 5.6.2 में साफ तौर पर लिखा है कि एलएससी/सीएससी के अन्तर्गत व्यसायिक गतिविधियां जारी रह सकती है यदि उनका जिक्र मिक्स यूज रेगूलेशन के अन्तर्गत किया गया है। श्री माकन ने कहा कि 22 जून 2007 में कोई संशोधन नही किया हैं। इस प्रकार एकमुश्त दिए जाने वाले कन्वर्जन शुल्क रुपये जिसमें 6,136 रुपये, 4,088 रुपये तथा 1,536 रुपये आज भी लागू है। श्री माकन ने कहा कि 19 दिसम्बर 2017 तथा 10 जुलाई 2012 के नोटिफिकेशन जिनके तहत कन्वर्जन शुल्क 89,094 रुपये तथा22,274 रुपये किए गए है, वह न्याय संगत नही है, क्योंकि 22 जून 2007 के रेगुलेशन में कोई संशोधन नही किया है। श्री माकन ने कहा कि अलग-अलग केटेगरी के लिए अलग-अलग कन्वर्जन शुल्क होना चाहिए और उन्होंने उदाहरण दिया कि गे्रटर कैलाश और साउथ एक्स की मार्केट और यमुना पार की मार्केट का एक जैसा कन्वर्जन शुल्क नही हो सकता। उन्होंने कहा कि यदि दिसम्बर 2017 के नोटिफिकेशन में दी गई कन्वर्जन शुल्क की राशि जो कि 22,274 है यदि उसको फार्मूलों के तहत लगाया जाए तो ए और बी केटेगरी के लिए 17,819 रुपये, सी और डी केटेगरी के 11,761 रुपये, ईएफ और जी केटेगरी की कालोनियों के लिए यह 4,455 रुपये बैठता है। श्री माकन ने लोकल शापिंग काम्पलेक्स (एलएससी) पर एफएआर के विषय पर बोलते हुए कहा कि मिक्स यूज रेगुलेशन केवल रिहायशी क्षेत्रों के लिए है, इस प्रकार मास्टर प्लान के मुताबिक एलएसी को रिहायशी क्षेत्रों के एफएआर मिलने चाहिए। क्योंकि इन क्षेत्रों में एफएआर व्यक्तिगत दुकान के लिए नही दिया गया है यह पूरे काम्पलेक्स के लिए है जिसके अन्तर्गत पार्किंग, पार्क इत्यादि आते है। उन्होंने कहा कि यदि एफएआर 150 है तो उसमें पार्क/पार्किंग/रोड़ सरकुलेशन को भी जोड़कर गणना होनी चाहिए।  इसी प्रकार श्री माकन ने कहा कि मास्टर प्लान के पेरा 15.12.3 (vii) में कहा गया है कि इस प्रकार की सड़कों पर व्यवसायिक गतिविधियां को मंजूरी दी गई है। श्री माकन ने कहा कि इन क्षेत्रों में बेसमेन्ट चलाने की अनुमति दी गई है इसलिए उनको सील नही किया जा सकता और जो सील हुए उनको तुरंत डी-सील किया जाना चाहिए। श्री माकन ने कहा कि 2021 के मास्टर प्लान के पेरा 16.2.5 में साफ तौर पर कहा गया है कि तीन वर्ष के अन्दर स्थानीय निकायों को स्पेशल एरिया को लेकर रिडेवलपमेन्ट प्लान बनाना चाहिए और तब तक इन क्षेत्रों जैसे में यथास्थिति बनी रहे। स्पेशल एरिया के अन्तर्गत करोल बाग, शाहजहांबाद, पटेल नगर, सदर, चादनी चैक इत्यादि आते है। श्री माकन ने कहा कि निगमों को मास्टर प्लान 2021 के लागू होने के 3 वर्ष के भीतर रिडेवलपमेन्ट प्लान बनाना चाहिए था, जो कि नही बना। इसलिए इन क्षेत्रों में किसी भी प्रकार की दखल अंदाजी नही होनी चाहिए। श्री माकन ने कहा कि 1962 से पहले की व्यवसायिक क्षेत्रों के संबध में मास्टर प्लान के पेरा 5.1 में साफ तौर पर कहा गया है कि इन क्षेत्रों में व्यवसायिक इस्तेमाल की अनुमति होगी जैसा कि 1962 के मास्टर प्लान में अनुमति दी गई थी। 1962 के मास्टर प्लान के पेज 61 में 22 जगहों का जिक्र था जिनमें व्यवसायिक क्षेत्र पहले से ही बने हुए थे। यह क्षेत्र है जामा मस्जिद, चितली कब्र, बाजार सीताराम, अजमेरी गेट, चादनी चैक, फतेहपुरी, लाजपत राय मार्केट, कश्मीरी गेट एवं मोरी गेट, मल्कागंज, सब्जी मंडी, बाड़ा हिन्दुराव, सदर बाजार, नबी करीम, कदम शरीफ, राम नगर, पहाड़ गंज, मानक पुरा, शाहदरा टाउन, झंडेवाला स्कीम ब्लाक ई शामिल है।

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