भारत के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप को बचाना आज सबसे बड़ी चुनौती – संजय पुरी

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की पुण्य तिथि के मौके पर जनक पुरी स्थित भारती कालेज के प्राँगण में एक स्मृति सभा का आयोजन संरक्षण एन जी ओ की ओर से किया गया जहां छात्राओं ने गाँधी के चित्र पर पुष्प अर्पित करके उन्हें भाव भीनी श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर भारती कालेज के प्रशासनिक अधिकारी पी के बब्बर के अलावा अमन उप्पलमदन लाल शर्माएस एन भंडारीराजेश मलिकसंजय शर्मा,प्रदीप सोलंकीरीना मेहराअनु टंडन व पी एस नंदा ने भी गाँधी के चित्र पर पुष्प अर्पित करके उन्हें भाव भीनी श्रद्धांजलि दी। संजय पुरी ने छात्राओं को देश की एकता,अखड़ता को बनाये रखने के साथ भारत के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप को बचाने के लिये अपना योगदान देने की शपथ दिलाई।

 जनक पुरी के पूर्व निगम पार्षद संजय पुरी ने बोलते हुए कहा कि 30 जनवरी 1948 को दिल्ली के बिरला हाउस में एक प्रार्थना सभा में हिस्सा लेने जा रहे थे  तभी सामने से नाथूराम गोडसे आ कर तीन गोलियां दाग कर जिस बूढ़े महात्मा की हत्या की थी सु कंधो पर पूरी दुनिया की मानवता का बोझ था वो पूरे विश्व को सत्य व अहिंसा का पाठ पढ़ा रहे थे।  मुस्लिम-द्वेष पर आधारित राष्ट्रीयता के सिद्धान्त में गहरी आस्था रखने वाला हिंदुत्ववादी सोच का समर्थक नाथूराम गोडसे और गाँधी जी की साजिश रचने वाले नारायण आप्टे को चाहे फांसी दे दी गई लेकिन आज भी भारत में वही संकीर्ण मानसिकता की परिचायक साम्प्रदायिक सोच देश में फलफूल रही है। धर्म के नाम पर सांप्रदायिकता की आग फैलाने वाले लोगों पर कटाक्ष करते हुए पुरी  ने आगे कहा कि साम्प्रदायिक सोच की विचारधारा मूलत: धार्मिकता से जुड़ी होती है। धर्म के साथ ही सांप्रदायिकता की विचारधारा पल्लवित होती है |साम्प्रदायिक व्यक्ति वे होते हैंजो राजनीति को धर्म के माध्यम से चलाते हैं।  साम्प्रदायिक व्यक्ति धार्मिक नहीं होताबल्कि वह एक ऐसा व्यक्ति होता है जो राजनीति को धर्म से जोड़कर राजनीति रूपी शतरंज की चाल खेलता है।

 संजय पुरी अपने उध्बोधन में आगे कहा कि भारतीय संविधान में भारतीय गणराज्य को धर्मनिरपेक्ष घोषित किया है। इसका अर्थ सिर्फ इतना है कि राज्य के संचालन में धर्म को महत्व नहीं दिया जाएगा। धर्म जो है वो रहेंगेधार्मिक संस्थाएं भी रहेंगीधर्म परायणता भी रहेगी और धार्मिक रीति रिवाज अपने ढंग से चलते रहेंगे। राज्य न तो किसी धर्म को अपनाएगा और न ही किसी धर्म का विरोध करेगा। संविधान ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि राज्य को यद्यपि धर्म की जरूरत नहीं है परंतु यहां के हर नागरिक को धर्म और आस्था की स्वतंत्रता प्राप्त है। राज्य इतना जरूर देखेगा कि इस मामले में कोई किसी के साथ जोर जबरदस्ती न करे। आज भारत के इसी धर्मनिरपेक्ष स्वरूप को साम्रपदायिक शक्तियाँ बिगाड़ने का प्रयास कर रही है यही देश की एकता व अखड़ता के लिये सबसे बड़ी चुनौती है।

पुरी ने कहा कि गाँधी महज एक व्यक्ति का नाम नहीं है गाँधी एक विचारधारा हैएक सोच है यह सोच देश में आपसी सौहार्द व आपसी भाईचारा बढ़ाती है। लेकिन गोडसे की सोच धर्म के नाम पर समाज में नफरत फैलाती है इस का बहिष्कार किया जाना चाहिये।

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