दिल्ली: ‘खलनायक’ के हाथों में हथकड़ी!

नई दिल्ली। हिंदी फिल्म ‘खलनायक’ देखकर जरायम की दुनिया मे कदम रखने वाले राजू खलनायक के दोनो ‘हाथ’ में ‘नायक’ के हाथों लगी कानून की ‘हथकड़ी।’ इस सच्ची घटना मे नई दिल्ली जिले के कनॉट प्लेस थाने की पुलिस ‘नायक’ और राजू खलनायक की भूमिका ‘खलनायक’ की है।

मूल रूप से दक्षिण भारत के रहने वाले 57 वर्षीय शातिर अपराधी राजू खलनायक का असली नाम राजू पनीर सिलबम उर्फ राजू खलनायक है। अपराध जगत में यह राजू खलनायक के नाम से जाना जाता है। इसका नाम राजू खलनायक कैसे पड़ा, इसके पीछे एक कहानी है। बात उस समय की है, जब हिंदी फिल्म ‘खलनायक’ रिलीज हुई थी। राजू ने जब यह फ़िल्म देखी, तो उसे फ़िल्म में ‘खलनायक की भूमिका इतनी पसंद आई कि उसने तभी निर्णय ले लिया, वह बनेगा ‘असली ‘खलनायक।’ इसके बाद उसने अपना नाम ‘राजू खलनायक’ रखकर अपना एक संगठित गिरोह बना लिया। फिर इसके नेतृत्व में ‘राजू खलनायक गिरोह’ ने ताबड़तोड़ सनसनीखेज आपराधिक वारदातों से जल्द ही अपराध जगत में साबित कर दिया, ‘जी हां! यह है असली खलनायक।’

कैसे चढ़ा कनॉट प्लेस थाने की पुलिस के हत्थे, जानने के लिए अतीत पर नजर डालते हैं :

नई दिल्ली जिले के कनॉट प्लेस थाना क्षेत्र में पिछले 15 दिनों में तीन बड़े शोरूम(रेमंड, यूसी पोलो, रिबॉक) व एक खूबचंद मीट की दुकान में बड़ी चोरियां हुई थी। इन चारों चोरियों मे चोरों ने दुकान की ताला व शटर तोड़कर दुकान में पड़े सभी बहुमूल्य सामानों पर हाथ साफ कर दिया था। ऐसे में कनॉट प्लेस जैसे प्रमुख व्यावसायिक इलाके में मात्र 15 दिनों के अंदर यह चार चोरियां दिल्ली पुलिस के लिए जहां परेशानी का सबब था, वही पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े होने लगे। वहीं स्थानीय पुलिस पर आला अधिकारियों का रंज होना स्वाभाविक था। मीडिया वाले मामले को तूल दे रहे थे, वह अलग।

नई दिल्ली जिले के डीसीपी मधुर वर्मा ने मामले को गंभीरता से लिया। डीसीपी वर्मा का मानना था कि जल्द

आरोपियों को नही पकड़ा गया, तो आरोपी और भी व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को अपना निशाना बना सकते हैं।

डीसीपी मधुर वर्मा ने उपर्युक्त चारो मामलों के जल्द खुलासे के लिए दिल्ली पुलिस के अनुभवी अफसर व कनॉट प्लेस थाने के SHO इंस्पेक्टर विनोद नारंग के निर्देशन तथा तेज-तर्रार सब इंस्पेक्टर अमित कुमार के नेतृत्व में एक विशेष पुलिस टीम का गठन किया। इस टीम में ASI बनवारी तथा कांस्टेबल अनिल, राकेश, मंजीत व सतेंदर जैसे जांबाज व कर्मठ पुलिसकर्मी शामिल थे।

पुलिस टीम ने जांच के दौरान सबसे पहले उक्त चारो दुकानों व उसके आसपास लगे सीसीटीवी फुटेज को खंगाला। इससे निम्न जानकारियां सामने आई।

पहली, चारो वारदात तड़के तीन बजे से तड़के पांच बजे के बीच घटित हुए थे।

दूसरी, चोर तीन की संख्या में आते थे वारदात के लिये।

और तीसरी, हर वारदात में चोर मौके पर एक सफेद कलर की इंडिका में पहुंचे थे। सीसीटीवी फुटेज से उक्त कार के सिर्फ अंतिम चार नम्बर 1425 पता चल पाए, जो पूर्ण नही था।

सीसीटीवी फुटेज की जांच से साफ था कि उपर्युक्त वारदातों में एक ही गिरोह का हाथ है। लेकिन कार के बिना पूर्ण नम्बर के चोरों तक पहुंच पाना पुलिस टीम के लिए एक चुनौतीपूर्ण काम था। वहीं बहरहाल सुराग के नाम पर पुलिस टीम के पास उनकी कार के अधूरा नम्बर के अलावा कुछ था भी नही।

अब पुलिस टीम ने सादे पोशाक में बेहद ही सावधानी पूर्वक कनॉट प्लेस इलाके में निगरानी शुरू की, जब चोरों का वारदात देने का समय था। इस दौरान पुलिस टीम की खास नजर हर आने-जाने वाले सफेद कलर की इंडिका कार पर रहती, जिसका अंतिम नम्बर 1425 होता।

पुलिस टीम की यह कोशिश रंग लाई।19 की तड़के पुलिस टीम पालिका केंद्र के गेट नम्बर- 6 के पास खड़ी थी, तभी सफेद कलर की एक इंडिका कार जिसका अंतिम नम्बर 1425 था, जनपथ की तरफ से आती दिखाई दी। पुलिस टीम के सदस्य सतर्क हो गए और सामने आते ही उस कार को रोक लिया।कार में तीन व्यक्ति बैठे थे, जिनके चेहरे पर पुलिस द्वारा कार रोक लिये जाने का असर साफ दिख रहा था। तीनो बेहद घबराए हुए थे। फिर पुलिस टीम ने उनकी कार की तलाशी ली, तो कार से उक्त औजार बरामद हुए, जो दुकान की ताला व दुकान की शटर तोड़ने में प्रयुक्त होते हैं। इन संदिग्ध औजारों की बरामदगी से साफ था कि यह वही चोर हैं, पुलिस टीम को जिनकी तलाश थी।

इन तीनो को थाने में लाकर जब मनोवैज्ञानिक तरीके से पूछताछ की गई, तो पुलिस टीम का अंदाजा सही साबित हुआ। गिरफ्त में आये यह तीनों शख्स जल्द टूट गए और खुलासे में बताया कि कनॉट प्लेस इलाके में हालिया हुए चारो वारदातों में इनका हाथ है। अपराध स्वीकारोक्ति के साथ ही पुलिस टीम ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।

पूछताछ में तीनों आरोपियों ने अपने नाम राजू पनीर सिलबम उर्फ राजू खलनायक(57), संजीव उर्फ राजा(48) और नंदू रावत(32) बताये। इनमे गिरोह का मास्टरमाइंड राजू खलनायक पता चला। राजू खलनायक व संजीव इस समय दिल्ली के तुगलकाबाद एक्सटेंशन में रह रहे थे। जबकि नंदू ने बताया कि वह दिल्ली के संगम विहार इलाके का रहने वाला है। इनके द्वारा वारदात में इस्तेमाल बरामद कार का नम्बर DL1ZB 1425 था, जो नंदू का था।

बता दें कि इनमें राजू खलनायक पर दिल्ली के विभिन्न थानों में 15 आपराधिक मामले पहले से दर्ज है । जबकि सफदरजंग इन्क्लेव थाने के एक मामले में यह 20 नवंबर, 2014 से भगोड़ा घोषित है। नंदू रावत भी रोहिणी नॉर्थ थाने के एक मामले में भगोड़ा घोषित है।

पूछताछ में पता चला कि गिरोह के सदस्य पहले कनॉट प्लेस के इलाके में रेकी करते थे और उसके बाद जिस शोरूम या फिर दुकान में इन्हें चोरी करनी होती, उस दुकान की रेकी करते थे और देखते थे उस शोरूम के आस पास कोई  सीसीटीवी कैमरा तो नहीं लगा। उसके बाद ये अपने शटर काटने के लिए अत्याधुनिक हथियारों से शटर काट शोरूम में दाखिल हो जाते और गल्ले में रखी नकदी और शोरूम में मौजूद सामान को साफ कर देते थे।

खबर लिखी जाने तक तीनो आरोपी रिमांड पर थे, जिनकी निशानदेही पर चोरी के ज्यादातर समान बरामद कर लिए जाने की खबर है।

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