बिहार में सत्तारूढ़ जदयू दोनो सदनों में दूसरे दर्जे का दल बना

-डॉ.समरेन्द्र पाठक

(वरिष्ठ पत्रकार एवं चिंतक)

नयी दिल्ली। बिहार विधान परिषद में 12 सदस्यों के मनोनयन को लेकर लॉवी तेज हो गयी है।
इसके साथ ही राज्य में सत्तारूढ़ जदयू दोनों सदनों में दूसरे दर्जे का दल बन गया है। विधान सभा में पहले से ही राजद सबसे बड़ा दल है। विधान परिषद में अब भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बन गयी है।
इस मनोनयन के लिए राज्य में सत्तारूढ़ एन डी ए के घटक दलों जदयू, भाजपा एवं लोजपा में प्रत्याशियों की सक्रियता बढ़ गई है।
राज्य विधान परिषद् में 10 सदस्यों के अवकाश ग्रहण करने के साथ ही मनोनीत किये जाने वाले सदस्यों की संख्या बढ़ाकर 12 हो गयी है। दो सीट पहले से रिक्त है।
राज्य विधान परिषद के सदस्यों के अवकाश ग्रहण करने के बाद भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बन गयी। इससे पहले जदयू सबसे बड़ा दल था।
राजनीतिक सूत्रों ने बताया कि भाजपा परिषद् में अपना यह दर्जा बरकरार रखना चाहती है।
खबर है कि भाजपा की एक सोच यह भी है कि अगर जदयू इस पर राजी नहीं होता है, तो वह विधान सभा में इस बार 50-50 नहीं दो तिहाई सीटों पर दबाब बनायेगी। पार्टी अद्यक्ष ने वैसे सभी सीटों पर तैयारी करने के लिए कहा है।
बिहार में इसी वर्ष नवम्बर में राज्य विधान सभा का चुनाव होना है।विधान परिषद के लिए के शिक्षक एवं स्नातक क्षेत्रों से अप्रैल में ही चुनाव होना था,लेकिन कोरोना संकट को लेकर इसे टाल दिया गया है।
हालांकि कैबिनेट की सिफारिश पर परिषद के 12 सदस्यों का मनोनयन राज्यपाल को करना है।नीतीश कुमार अपने पिछले मंत्रिमंडल विस्तार की तरह इस मनोनयन में भी कर सकते हैं,लेकिन मौजूदा स्थिति में यह संभव नहीं है।
सूत्रों के अनुसार एन डी ए सरकार के पहले मनोनयन में भाजपा को इन 12 में से सात सीटें मिली थीं। अगर यह फार्मूला अपनाया जाता है तो सहयोगी के नाते लोजपा भी एक सीट की मांग कर सकती है।
इस महीने में राज्यपाल कोटे के अलावा विधानसभा और शिक्षक एवं स्नातक क्षेत्र की क्रमश: नौ एवं आठ सीटें खाली हुई हैं।
बहरहाल विपक्षी हमलों के बीच कोरोना संकट से उबरने में लगे नीतीश कुमार के लिए इस मसले को अपने पक्ष में करना टेढ़ी खीर के समान है।