गाज़ियाबाद: खुले नाले में हुई बच्ची की मौत के मामले में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग सख्त, डी एम को सम्मन

गाज़ियाबाद। विजय नगर थाना क्षेत्र की सुदामापुरी कालोनी में 6 मार्च 2017 को नगर निगम की लापरवाही के कारण बीच आबादी में खुले नाले में गिरने के कारण हुई नगमा, पुत्री जमरुद्दीन की मौत के मामले में जिला अधिकारी द्वारा मानव अधिकार आयोग के आदेश को गम्भीरता से न लेने पर आयोग ने सख्त नाराजगी जताते हुए डीएम गाजियाबाद को समन्न जारी कर 31 अक्टूबर को आयोग में पेश होकर जवाब देने को कहा है।

ये था पूरा मामला :

विजय नगर क्षेत्र की सुदामापुरी कालोनी में 6 मार्च 2017 को जमरूद्दीन की पुत्री नगमा की खुले नाले में गिरने से डूबने के कारण मौत हो गयी थी। इस मामले में साहिबाबाद निवासी जाने माने मानव अधिकार कार्यकर्ता राजीव कुमार शर्मा द्वारा राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग में एक जनहित याचिका दायर कर घटना के जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करने और मृतक बच्ची के परिजनों को मुआवजा दिलवाने की मांग की थी।


राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने राजीव कुमार शर्मा की याचिका पर 28 मार्च 2017 को डी एम और एस एस पी को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में मृतक बच्ची की मौत के मामले में मानव अधिकार आयोग में जवाब दाखिल करने का आदेश दिये थे।

मानव अधिकार आयोग को एस एस पी गाजियाबाद द्वारा प्रेषित रिपोर्ट में बताया गया कि ना ही तो मृतक बच्ची के परिजन कोई मुआवजा लेना चाहते है और ना ही इस सम्बंध में कोई कानूनी कार्यवाही चाहते है। वहीँ तत्कालीन डी एम द्वारा आयोग को प्रेषित रिपोर्ट में बताया गया कि मृतक बच्ची का पता अधूरा होने के कारण मृतक बच्ची को परिवार को खोज पाना सम्भव नही है। दोनों अधिकारियों की जांच रिपोर्ट विरोधाभाषी होने और याचिका कर्ता राजीव कुमार शर्मा की दलील सुनने के बाद आयोग ने मृतक बच्ची के परिवार का पता सत्यापित कराने के लिए मृतक बच्ची के पते पर एक पत्र भेजा जो डाक विभाग ने अधूरा पता लिखा होने का कारण बताकर वापस कर दिया।

(RTI एक्टिविस्ट राजीव कुमार शर्मा)

आयोग ने मामले की गम्भीरता और जिला प्रशासन की लापरवाही मानते हुए डीएम गाजियाबाद को आदेशित किया कि मृतक परिवार का पता लगाकर मृतक बच्ची के परिजनों को मुआवजा देकर और बच्ची की मौत के जिम्मेदार नगर निगम को दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही कर आयोग को अवगत कराया जाये । डीएम गाजियाबाद द्वारा इस मामले में आयोग के 3 बार आदेश के बाद भी जब डी एम गाजियाबाद द्वारा आयोग को कोई रिपोर्ट नही भेजी गई, तो आयोग ने डी एम गाजियाबाद को 25 सितम्बर 2018 को समन्न जारी कर 31अक्टूबर को आयोग में पेश होने का आदेश जारी किया है। आयोग ने अपने आदेश में ये भी कहा है कि अगर डी एम इस मामले में मृतक बच्ची के परिजनों को मुआवजा देकर और घटना के जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही कर आयोग को 25 अक्टूबर तक आयोग में रिपोर्ट दाखिल कर देंगी तो व्यक्तिगत पेशी से छूट मिल जाएगी।

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