नई दिल्ली। राजधानी में पिछले करीब दो वर्षों से आतंक का पर्याय बने खूंखार अपराधी मंजीत डबास को उसके दो अन्य प्रमुख सहयोगी अरशू शौकीन और भगत उर्फ भानु के साथ मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया है। यह कामयाबी मिली है, दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की टीम को। निःसंदेह यह दिल्ली पुलिस की एक बड़ी कामयाबी है।
दिल्ली पुलिस की अपराधियों की टॉप-10 सूची में शुमार शातिर अपराधी मंजीत डबास उर्फ चाँदपुरिया वह नाम है, जिसके गिरोह द्वारा लगातार अंजाम दिए जा रहे ताबड़तोड़ संगीन वारदातों से दिल्ली पुलिस की नींद उड़ गई थी। वहीं राजधानीवासी दशहत में थे। दिल्ली के कंझावला थाना क्षेत्र स्थित चाँदपुर गांव निवासी यह अपराधी इतना चालक है कि इसे पकड़ पाना दिल्ली दिल्ली पुलिस के लिये एक चुनौतीपूर्ण काम था। करीब डेढ़ वर्षों से दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच सहित तकरीबन हर सुरक्षा एजेंसी इसकी गिरफ्तारी के लिये प्रयासरत थी। लेकिन हर संभव कोशिश के बाद भी यह पुलिस की पकड़ से बाहर था।
ऐसे में दिल्ली पुलिस स्पेशल के तेज-तर्रार डीसीपी संजीव यादव ने इसे एक चुनौती के रूप में स्वीकार किया। डीसीपी संजीव यादव ने प्रण कर लिया कि जबतक मंजीत डबास गिरफ्तार नही होगा, तब तक वह चैन से नही बैठेंगे। डीसीपी संजीव यादव ने इसकी गिरफ्तारी के लिए दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के अनुभवी एसीपी अखिलेश्वर यादव के निर्देशन तथा इंस्पेक्टर पीसी यादव व इंस्पेक्टर संजीव यादव के संयुक्त नेतृत्व में एक विशेष पुलिस टीम का गठन किया। इस टीम में सब इंस्पेक्टर देवेंद्र, ASI अशोक, ASI सुनील, हेड कांस्टेबल जितेंद्र, हेड कांस्टेबल दिनेश, हेड कांस्टेबल भारत, हेड कांस्टेबल बलवान, कांस्टेबल कर्मपाल, कांस्टेबल राहुल, कांस्टेबल योगेश, कांस्टेबल प्रवीण व कांस्टेबल संदीप शामिल थे।
पुलिस टीम ने तफ्तीश के दौरान उक्त सभी संभावित पहलुओं पर सूक्ष्मता पूर्वक अमल किया, जो किसी भी शातिर अपराधी की तलाश के लिए आवश्यक होते हैं। आख़िरकार पुलिस टीम ने छावला इलाके से मंजीत डबास को गिरफ्तार कर लिया। साथ ही उसके गिरोह के दो प्रमुख सदस्य भी पुलिस टीम के हाथ आ गए। लेकिन कड़ी मशक्कत के बाद। बता दें कि पुलिस टीम ने गिरफ्त में आये बदमाशों को रोकने की कोशिश की, तो बदमाशों ने पुलिस टीम पर अचानक फायर झोंक दिया। फिर पुलिस टीम ने भी जवाबी करवाई कर जल्द ही इनके हौंसले पस्त कर दिए और इन्हें गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस टीम के हत्थे चढ़े तीनों बदमाश में गिरोह का मास्टरमाइंड मंजीत डबास सिविल डिफेंस में काम कर चुका है। लिहाजा यह पुलिस की कार्यशैली से अच्छी तरह वाकिफ था। यही वजह था कि यह पुलिस के हाथ नही आ रहा था। बता दें कि दिल्ली पुलिस द्वारा इसकी गिरफ्तारी पर एक लाख रुपये का इनाम घोषित था। जबकि पुलिस टीम के हाथ आये इनके दो अन्य साथियों अरशू और भगत पर 50-50 हज़ार का इनाम घोषित था। इनमें अरशू निजी जीवन बीमा का काम कर चुका है। जबकि भगत अपराध की दुनिया मे आने से पहले पेशे से इलेक्ट्रिशियन था। इस गिरोह का मुख्य धंधा अपहरण व कारोबारियों को धमकाकर उनसे मोटी रकम ऐंठना था। यह भौतिक सुख-सुविधा की चाहत व शार्ट-कट रास्ते से जल्द अमीर बनने की ललक में अपराध जगत में उतरे थे।
वर्ष 2011 में पहला अपराध करने वाले मंजीत डबास पर आज के समय मे अपराध की फेहरिश्त काफी लंबे हैं। दिल्ली के विभिन्न थानों में इसपर करीब आधा दर्जन संगीन मामले दर्ज हैं।
उल्लेखनीय है कि इस गिरोह ने 27 सितंबर, 2016 को दिल्ली के पूर्व निगम पार्षद शम्भू दयाल शर्मा के 20 वर्षीय बेटे कार्तिक शर्मा का दिल्ली के सुभाष प्लेस थाना क्षेत्र से अपहरण कर लिया था, जिसमे 50 करोड़ की फिरौती मांगी थी। आखिर में एक करोड़ की फिरौती लेकर कार्तिक को छोड़ा था।
बहरहाल पुलिस टीम गिरोह के अन्य सदस्यों की गिरफ्तारी के लिए प्रयासरत है।
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