नई दिल्ली। पीएम मोदी आज विज्ञानभवन में आयोजित एजुकेशन सिस्टम में एकेडिमिक लीडरशिप विषय पर आयोजित कांफ्रेंस में हिस्सा लेनेे पहुंचे। जहां उन्होंने देश के दिग्गज शिक्षाविदों से सीधा संवाद किया। मोदी ने अपने जोश से भरे भाषण में कहा कि देश को अब छात्र नहीं चाहिए बल्कि वैज्ञानिक चाहिए। हमारा शिक्षण संस्थान साहित्यकार देते हैं, कंपनियों के सीईओ देते हैं अब हमें दुनिया में महानतम वैज्ञानिक देना है और यह तभी होगा जब हमारे बच्चों में वैज्ञानिक सोच विकसित होगी।
मोदी ने अपना अनुभव बांटते हुए कहा कि स्कूल में हमसे शिक्षक पूछते थे कि आज कौन सा सेवा कार्य किया? 90 प्रतिशत बच्चे लिखते थे कि, आज एक अंधे को रास्ता पार करवाया। शिक्षक जानता था कि यह झूठ है पर उसके पास इसे ठीक करने का समय नहीं रहा या शायद रूचि नहीं रही। यह झूठ चलता रहा और फिर बच्चे की आदत में शामिल हो गया। उसने कभी किसी अंधे को रास्ता पार नहीं करवाया न ही शिक्षक ने उसे प्रेरित किया। मुझे लगता है कि इस मानसिकता को बदलना जरूरी है।
पीएम ने बताया कि इस सरकार के आने के बाद मैंने प्रयास किया है कि जहां भी विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोह में जाता हूं, वहां नियम बनाया गया है। मैं वहां तभी जाता हूं जब वहां मेरे 50 स्पेशल गेस्ट के बैठने की व्यवस्था हो। ये 50 वो बच्चे हैं जो सरकारी स्कूल में पढते हैं, झुग्गियों में रहते हैं। मैं उन बच्चों में आत्मविश्वास पैदा करना चाहता हूं। वह खुद को इतनी अच्छी जगह बैठे देखता है, तो सोचता है कि कभी मैं भी यहां तक पहुंचूंगा। मुझे भी कोई इसी तरह से सम्मानित करेगा। चीज छोटी है पर बदलाव बडा है।
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