नई दिल्ली। यदि कोई शख्स सामने वाले को अपना परिचय ‘यूपी का रंगीला’ के रूप में दे, तो अनजान शख्स यही सोचेगा कि मानसिक रोगी है या शरारतवश ऐसा बोल रहा है। लेकिन जब सामने वाला कोई शख्स यह परिचय सुनकर अनायास मुस्करा पड़े औऱ गले मिलकर उसके साथ चल पड़े, तो क्या कहेंगे आप। यही, कि जरूर दाल में कुछ काला है अथवा इस परिचय के पीछे कुछ खास मकसद है।
ऐसा ही हुआ उस दिन, जब एक युवक दिल्ली के पर्दा बाग मार्किट में पहुंचा और वहां रास्ते पर खड़े कुछ युवकों के बगल से यह कहते हुए फौरन आगे बढ़ गया, ‘यूपी का रंगीला।’यह सुनकर कुछ लोगों ने तो उसे मानसिक रोगी की संज्ञा दे डाली, तो कुछ को लगा कि यह शरारत कर रहा है।
जब वह युवक पर्दा बाग मार्किट में संदिग्ध अवस्था मे चहलकदमी कर रहा था, तभी वहां मौजूद दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच के एक मुखबिर को उसकी गतिविधियों पर शक हो गया और वह निगरानी के लिए सावधानी पूर्वक संदिग्ध युवक के पीछे लग गया। दरअसल मुखबिर निजी काम से मार्किट में आ रखा था।
उसी दौरान संदिग्ध युवक पर नजर पड़ते ही रास्ते मे ख़ड़े एक शख्स के चेहरे पर अनायास मुस्कराहट उभर आई और वह बोला, ‘रंगीला रंगीला।’ इतना सुनते ही संदिग्ध युवक के कदम अचानक ठहर गए। उसने शख्स के पास आकर मुस्कराते हुए पूछा, ‘कितने बदलने हैं…दो-दो हज़ार के नोट हैं मेरे पास। मैं डबल नोट देता हूं। दूसरे कम देते।’ यह सुनकर शख्स ने कहा, ‘आज तो नही, अगली बार कब आओगे?’ इसपर संदिग्ध युवक ने कहा, ‘मैं यहां अब 14 जनवरी को आऊंगा। दोपहर बाद यहीं मिल लेना।’ इसके बाद वह दोनों विपरीत दिशा में आगे बढ़ गए। अब इनकी बातो से मुखबिर को समझते देर नही लगी, कि यह दोनों शख्स जाली नोट के धंधे से जुड़े हैं। ‘यूपी का रंगीला’ और ‘रंगीला रंगीला’ इनके बीच धंधे में नोट आदान-प्रदान का ‘कोड वर्ड’ है।
मुखबिर वहां से सीधा दिल्ली पुलिस के क्राइम ब्रांच(स्पेशल इन्वेस्टिगेशन यूनिट) के दफ्तर में पहुंचा और इंस्पेक्टर उपेंद्र कुमार सिंह से पूरी बात बताई। सूचना महत्वपूर्ण थी, जो देश की करेंसी से जुड़ा था। इंस्पेक्टर उपेंद्र कुमार सिंह ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच के तेज-तर्रार व अनुभवी सब इंस्पेक्टर विनय भारद्वाज के निर्देशन तथा जांबाज थानेदार संजय कुमार त्यागी व योगेंद्र के संयुक्त नेतृत्व में एक विशेष टीम का गठन किया। इस टीम में तेज-तर्रार ASI सुधीर, हेड कांस्टेबल बलराज, अमृतराज, सुशील व राकेश, कांस्टेबल दलवीर व प्रदीप शामिल थे।
टीम के सभी सदस्य सादे पोशाक में 14 जनवरी की शाम चार बजे दरियागंज इलाके में स्थित पर्दा बाग मार्किट पहुंच गए। उस दिन जिस जगह पर आरोपियों के बीच आपस में बातचीत हुई थी, पुलिस टीम ने उसके आसपास सावधानी पूर्वक खड़े होकर अपनी पोजीशन ले ली। बता दें कि टीम में ASI सुधीर को बोगस कस्टमर बनाया गया था। इन्हें इंस्पेक्टर उपेंद्र कुमार सिंह ने अपने हस्ताक्षरयुक्त दो-दो हजार के दो नोट पहले ही दे दिए थे, ताकि सौदा होने पर आरोपी को दे सके। तय हुआ था, कि सौदा होने के बाद ASI सुधीर अपने सिर पर एक बार हाथ फिरायगा, जो पुलिस टीम के संकेत होगा कि सौदा हो चुका है। फिर पुलिस टीम आरोपी को पकड़ लेगी। मुखबिर भी पुलिस टीम के साथ था।
शाम करीब साढ़े चार बजे संदिग्ध अवस्था मे नीली शर्ट पहन रखा एक युवक निषादराज मार्ग से पर्दा बाग मार्किट में पहुंचा, तो मुखबिर ने पुलिस टीम को उसकी तरफ इशारा कर कहा, यह वही है। इतना सुनते ही बोगस कस्टमर बने ASI सुधीर तुरंत संदिग्ध युवक के सामने जाकर खड़े हो गए और मुस्कराकर बोले, ‘रंगीला रंगीला।’ यह सुनकर संदिग्ध युवक मुस्कराया, ‘यूपी का रंगीला।’ उसने पूछा, ‘कितने नोट हैं?’ इसपर ASI सुधीर ने कहा, ‘चार हजार’। इसके बाद सुधीर ने दो-दो हजार के दो नोट देकर, डबल यानी दो-दो हजार के चार नकली नोट संदिग्ध युवक से ले लिए। फिर सुधीर ने अपने सिर पर हाथ फिराया, तो पहले से सतर्क पुलिस टीम ने संदिग्ध युवक को फौरन अपने गिरफ्त में ले लिया।
पूछताछ में संदिग्ध युवक ने अपना नाम मुनीश अहमद(49), पुत्र मुबारक अली, निवासी गांव देवली खानपुर, थाना नेबसराय, दिल्ली बताया। करीब चार वर्षों से नकली नोट के धंधे में संलिप्त मुनीश को दिल्ली के रोहिणी थाने की पुलिस ने नकली नोट के कारोबार में वर्ष 2015 में पहले बंद किया था। आरोपी ने बताया कि वह विवाहित है और उसने12वी तक पढ़ाई कर रखी है। साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले आरोपी ने बताया कि वह जल्द अमीर बनने की चाहत में इस धंधे में आया था।
मौके पर तलाशी लेने पर आरोपी के पास से आठ हजार के अलावा, दो-दो हजार एक लाख साठ हजार रुपये बरामद हुए। आरोपी ने पूछताछ में बताया कि वह पटना के एक शख्स से दो-दो हजार का नकली नोट लेता था, जिसे वह पांच सौ का असली नोट देकर, उससे दो हजार का नकली नोट लेता था। फिर यह अपने कस्टमर से एक हजार का असली नोट लेकर उसे दो हजार का नकली नोट देता था। आरोपी ने बताया कि ‘यूपी का रंगीला’ और ‘रंगीला रंगीला’ धंधे में संपर्क का इनका ‘कोड वर्ड’ है।
खबर लिखी जाने तक आरोपी दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद था। पुलिस पड़ताल जारी है।
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