सीतामढ़ी(बिहार): गैंगस्टर संतोष की हत्या से पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल!

सीतामढ़ी(बिहार)। मगलवार को डुमरा सिविल कोर्ट के बाहर व मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के अदालत के सामने पेशी के दौरान अज्ञात अपराधियों ने कुख्यात गैंगस्टर संतोष झा की गोली मारकर हत्या कर दी। उसे कोर्ट में पेशी के लिए लाया गया था जहां अज्ञात अपराधियों ने उसे भारी सुरक्षा के बीच कोर्ट परिसर में घुस कर गोली मार दी. आपको बतादे भागते क्रम में पुलिस ने एक अपराधी को पकरने में सफल रहा. इस हमले में कोर्ट का एक चपरासी को भी गोली लगी जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया है। घायल चपराशी संतोष की इलाज शहर के निजी क्लिनिक में चल रही है. आपको बतादे की गोली लगने के बाद गैगस्टर संतोष झा को आनन-फानन में सदर अस्पताल ले जाया गया. जहा उसे डॉक्टरो मृत घोषित कर दी गयी. जानकारी के मुताबिक संतोष झा को अपराधियों ने तीन गोली मरी है, पहली गोली उसके सिर में लगी तो दूसरी गोली उसके सीने में तो वही तीसरी गोली कंधा में लगी है. उसकी मौत गोली लगते ही मौत हो गई थी, लेकिन पुलिस उसे आनन-फानन में अस्पताल ले गई, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. घटना के बाद कोर्ट परिसर पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया है. जानकारी के मुताविक सभी अपराधी दो लाल कलर के अपाची से थे. मिली जानकारी के अनुसार पकड़ा गया अपराधी मोतिहारी चकिया के कुइया गांव निवासी विकाश महतो है.

*घटना को लेकर अधिवक्ताओ में आक्रोश, दहशत, पुलिस ने नहीं किया फायरिंग*

हालाँकि की कोर्ट परिसर में हुई घटना को लेकर अधिवक्ताओ में काफी आक्रोश है. अधिवक्ताओ का कहना है की इतनी सख्ती के बावजूद कोर्ट परिसर में वो भी जज के अदालत से बाहर निकलते ही ताबरतोड़ गोलीबारी कर सभी अपराधी भागने में सफल रहे. लेकिन एक को गिरफ्तार कर लिया. अधिवक्ताओ ने कहा की यह घटना पुलिस की मिली भगत के कारण हुई है. अधिवक्ता विमल शुक्ला ने कहा की जिले लगातार अपराधिक घटना बढती जा रही है. बावजूद पुलिस हाथ पे हाथ डालकर बैठी है. और यह स्थिति सिर्फ सीतामढ़ी की नहीं पुरे बिहार की है. उन्होंने नीतीश कुमार से इस्तीफा देने व उक्त घटना की सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस्ट से जांच कराने की मांग की है. आपको बतादे की उक्त घटना के बाद कोर्ट के कर्मियों में दहशत है. वही कर्मियों का कहना है की इतनी बड़ी संख्या में आर्म्स के साथ मौजूद पुलिस ने इतनी बड़ी घटना होने के बावजूद पुलिस की ओर से एक भी फायरिंग नहीं किया, और गोली चलने के बाद सभी पुलिस कर्मी अपराधियों को छोड़ जान बचा कर भागने लगे. अधिवक्ताओ ने कहा की अगर पुलिस फायरिंग करती तो इतनी बड़ी घटना नहीं होती. घटना के बाद आस-पास में देखने को लेकर काफी भीड़ लग गयी थी.

*कई दर्जन से अधिक संगीन मामले है दर्ज*

आपको बतादे की गैगस्टर संतोष झा जेल में बंद था और उसके ऊपर कई दर्जन से अधिक संगीन वारदातों को अंजाम देने का आरोप था. दरभंगा में हुए दो इंजीनियरों की हत्या में इसी के गैंग का हाथ था और इस मामले में संतोष का झा के साथ कई लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। संतोष झा वही अपराधी था, जिसके उपर पकरने के लिए एक लाख का इनाम रखा गया था. जिसे मोतिहारी एसपी ने ने कोलकाता के एक फ्लैट से उसे गिरफ्तार किया था. संतोष शिवहर जिले के दोस्तियां निवासी चन्द्र शेखर झा के पुत्र है. जो बिहार में 10 साल से अपराध की दुनिया में सक्रिय था. वो पहले नक्सली था बाद में धीरे-धीरे उसने अपने गिरोह का विस्तार किया और एक लंबा गैंगस्टर बन गया था.

*कौन था कुख्यात गैंग्स्टर संतोष झा, और कैसे बना अपराधी*

बिहार में अपराध की दुनिया के बेताज बादशाह सह डॉन संतोष झा शिवहर जिले के दोस्तियाँ गांव का रहने वाला है. दरभंगा में हुए डबल इंजिनियर हत्याकांड के बाद चर्चा में आये सजायाफ्ता संतोष झा जिस तरह से लगातार लुट-हत्याओं के साथ अपराध की दुनिया में खुद को स्थापित किया. वह कहीं ना कहीं प्रशासन के लिए चुनौतीपूर्ण रहा और संतोष झा को जानने वालों के लिए अप्रत्याशित था. कभी सामान्य रूप से आम नागरिक की तरह जिन्दगी जीने वाला संतोष झा के अपराध की दुनिया में आने की कहानी पूरी तरह फ़िल्मी है, जिससे आज भी अधिकांश लोग अंजान हैं.
–दबंग लुक के साथ गोरे चेहरे पर महंगा चश्मा, काले रंग की फुल टी-शर्ट और ब्रांडेड पैंट की शौक रखने वाला संतोष झा ना तो फिल्म अभिनेता था और न हीं कोर्इ वीवीआर्इपी. बल्कि वह कानून की नजर में सजायाफ्ता था, यह उत्तर बिहार का र्इनामी तथा बिहार पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का चीफ था. जिसके सिर पर हत्या, लूट, रंगदारी, भयादोहन, विस्फोटक अधिनियम तथा आर्म्स एक्ट के तहत लगभग में 40 से अधिक मामले दर्ज हैं. इस शख्स की पहचान कुछ ऐसी थी की पुलिस कस्टडी में होने के वाबजूद सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, पश्चमी चंपारण, गोपालगंज, पूर्वी चंपारण, मधुबनी, दरभंगा तथा शिवहर जिले की पुलिस को नाकोदम कर रखा था.

*पिता के अपमान का बदला लेने के लिए बना अपराधी*

पिता की पिटार्इ के बाद माओवादियों की जमात में शामिल होने वाला संतोष की जिंदगी की कहानी भी बड़ी अजीब है. शिवहर जिले के पुरनहिया थाना अंतर्गत दोस्तियां गांव निवासी संतोष झा के पिता चंद्रशेखर झा कभी गांव के हीं दबंग जमींदार परिवार से तालुक रखने वाले नवल किशोर यादव के जीप का ड्राइवर था. पंचायत भवन बनाने के सवाल पर ही संतोष झा के पिता चंद्रशेखर झा की गांव के उन दबंगों से ठन गयी, जिसके घर वह नौकरी कर रहे थे. बस इतनी सी बात पर दबंग जमींदार ने चंद्रशेखर झा की जमकर पिटार्इ की. पिता पर जमींदारों के जुल्म ने शांत संतोष के चेहरे पर बदले की चिंगारी जला दी. उसके बाद संतोष झा माओवादियों के खेमें में मिल कर बदला लेने की कसम खा लिया, और वर्ष-2003 में जमींदार नवल किशोर यादव के घर पर माओवादियों ने हमला कर इरादे को स्पष्ट कर दिया. जिसके बाद अदौड़ी में बैंक लूट, तरियानी के नरवारा में बैंक लूटने जैसी वारदात के अलावे देकुली धाम के निकट पुलिस पिकेट से हथियार लूट के मामले में भी संतोष का नाम उछला था. पिता की पिटार्इ का बदला संतोष को इस कदर खौला दिया था कि उसने 15 जनवरी 2010 को अपने सहयोगियों के साथ सीतामढ़ी के राजोपटटी में पूर्व जिला पार्षद नवल किशोर यादव को उसके घर के बाहर गोलियों से भून दिया था. उसने उक्त हत्या को पिता की पिटार्इ का बदला बताया था. नक्सलियों से अलग होकर उसने बदला लेने के लिए उक्त हत्या को अंजाम दिया था. बाद के दिनों में नक्सलियों से उसका जुड़ाव भी बढ़ गया और उसने उससे अलग बिहार पीपुल्स लिबरेशन आर्मी अपना संगठन बना लिया. नक्सली गौरी शंकर झा की हत्या के मामले में भी संतोष मुख्य आरोपित है. 24 नवंबर 2011 को गौरी शंकर झा को उसके घर पर हमला करने के बाद गोलियों से भून दिया गया था. वर्ष-2005 में संतोष झा को एसटीएफ ने पटना के एक होटल से गिरफ्तार किया था. बाद में पांच साल तक जेल में रहने के बाद वह जमानत पर छूट कर खूनी खेल को जारी रखा. इसके बाद वर्ष-2012 में रांची से वह अपने सहयोगी मुकेश पाठक के साथ पूर्वी चंपारण जिले की पुलिस के हत्थे चढ़ा था. वही 17 फरवरी 2012 को मोतिहारी पुलिस की चुक के कारण कोर्ट से जमानत मिलने के बाद जेल से बाहर निकला यह व्यकित उसके बाद की जिंदगी में इतना खौफनाक चेहरा बन गया कि पुलिस को उसे पकड़ने के लिए एक लाख रुपये का इनाम घोषित करना करना पड़ा. मोतिहारी जेल से बाहर आने के बाद संतोष झा का लाइफ स्टाइल भी बदल गया. इसके बाद तो वह कर्इ आपराधिक वारदातों को अंजाम देने के बाद रंगदारी की रकम से दिन दुनी रात चौगुनी तरक्की की राह गिनने लगा. सीतामढ़ी जिले की पुलिस के टाप टेन की सूची में नंबर वन संतोष झा की संपत्ति को जब्त करने की भी पुलिस ने कार्रवार्इ की है. पुलिस की माने तो संतोष झा ने सिर्फ रंगदारी की रकम से करीब 50 करोड़ से अधिक की संपत्ति अर्जित की है. पुलिस की तफ्तीस में यह बात सामने आयी है कि संतोष झा के काठमांडू, जमशेदपुर, रांची, कोलकता में फ्लैट है तो उड़ीसा में उसके आलीशान होटल की भी चर्चा है. इतना हीं नहीं असम के गुवाहाटी में उसने करोड़ों की लागत से एक बड़ा स्कूल तक खोल रखा है, जिसको उसके खास सहयोगी मुकेश पाठक का पिता डील करता है. संतोष बडे़ ठाठ से अपने गूर्गों के माध्यम से कंस्ट्रक्शन कंपनी से रंगदारी की वसुली करता था. काठमांडू में भी उसने अपने व्यवसाय को रंगदारी के माध्यम से चमकाना शुरू किया था. बाद में सहयोगी चिरंजीवी की गिरफ्तारी के बाद से गिरोह को सबसे बड़ा झटका लगा. चिरंजीवी, गिरोह के शार्प शूटर विकास झा उर्फ कालिया के साथ छोटकी भिटठा से पकड़ा गया था. चिरंजीवी के पकड़े जाने के बाद हीं संतोष ने अपना ठिकाना बदल लिया और तभी से वह कोलकाता में अपने संबंधी के यहां छिप कर रहने लगा. बाद में रंगदारी की रकम से हीं उसने वहां दो फ्लैट भी खरीद लिया. संतोष के बारे में पुलिस ने बताया है कि कम उम्र के लड़कों को गिरोह में शामिल कर उसने रंगदारी के लिए हत्या कर दहशत फैला दिया था. हालांकि यह भी सच है कि संतोष झा के नाम पर कुछ छुटभैये अपराधियों ने भी रंगदारी मांगने का प्रचलन बना लिया था. आपको बतादे की संतोष झा के नाम का दुरूपयोग भी हुआ था. उसके नाम पर रंगदारी भी वसूली होती थी.

*संतोष को एक झलक देखने को होती थी धक्का मुक्की*

शिवहर में सुपरवाईजर व दरभंगा में 75 लाख रंगदारी नहीं मिलने पर दो इंजीनियर की हत्या कर देने के बाद संतोष का नाम काफी चर्चा में रहता था. आपको बतादे की उक्त मामला जेल से ही डील हो रही थी. जिसे संतोष के सहयोगी मुकेश पाठक समेत अन्य अपराधियों ने घटना को अंजाम दिया था. दरभंगा के डबल इंजिनियर हत्याकांड के बाद पुलिस की गिरफ्त में रह रहे संतोष झा की जब कोर्ट में पेशी होती थी, तो सीतामढ़ी पुलिस की कस्टडी में बख्तरबंद वैन से बाहर निकलाता तो जिला मुख्यालय, डुमरा स्थित व्यवहार न्यायालय के पास सैकड़ों की तादाद में मौजूद भीड़ उसकी एक झलक पाने के लिए धक्का मुक्की पर उतारू था. जिस व्यक्ति के नाम से कंस्ट्रक्शन कंपनियां कांप उठती थी, वह कस्टडी में पूरे इत्मीनान से दबंग की तरह हाथ हिला कर भीड़ का अभिवादन करता था. आपको बतादे की उतर बिहार में पहलीबार किसी अपराधी का वीडियो कोफ्रेस के जरिये कोर्ट में पेशी हुई थी. जिसमे संतोष झा व मुकेश पाठक समेत अन्य कई अपराधियों का पेशी हुआ था.

*करोड़ो के डीलिंग में संतोष व मुकेश में हुई थी विवाद, जेल में हुई छापेमारी*

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इन दिनों संतोष झा व मुकेश पाठक में नहीं जम रही थी. सूत्रों की माने तो दरभंगा में इंजीनियर से मिली 18 करोड़ रूपये के बटवारे में खटपट होने के कारण दोनों में विवाद चल रहा था. सूत्रों की माने तो शिवहर में सुपरवाईजर व दरभंगा में डबल इंजीनियर हत्या को अंजाम देने वाला हथियार संतोष झा ने ही दिया था. जिसको लेकर उक्त रुपया में संतोष झा द्वारा विशेष राशी का मांग किया गया था. लेकिन मुकेश पाठक ने नहीं दिया. जिसके कारण दोनों में नहीं बन रही थी. लेकिन हाल के दिनों में मुकेश व संतोष दोनों एक ही जेल में था. घटना के बाद सीतामढ़ी जेल में ताबड़तोड़ छापेमारी की गयी. मिली जानकारी के अनुसार उक्त घटना को अंजाम देने के लिए जेल से लाईनप होने की बात सामने आ रही है.

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