दिल्ली : पिंक मेट्रो का आगाज़

नई दिल्ली। राजधानी में मेट्रो सुविधा सुलभ होने से निःसंदेह आवागमन में समय की बचत के साथ सुरक्षित व आरामदायक यात्रा का मार्ग प्रशस्त हुआ है। आज से दिल्ली में ‘पिंक मेट्रो’ का आगाज हो रहा, यह मेट्रो सवारियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है।
बता दें कि 14 मार्च से शुरू हो रहे दिल्ली मेट्रो के सबसे बड़े पिंक मेट्रो रूट के पहले सेक्सन मजलिस पार्क-साउथ कैम्पस कॉरीडोर (21.56 कि.मी.) रिंग रोड पर बढ़ते ट्रैफिक के बोझ को कम करेगा। वहीं, इस रूट के शुरू होने पर दिल्ली विश्वविद्यालय के साउथ कैम्पस और नॉर्थ कैम्पस जुडऩे से हजारों छात्रों की मेट्रो की आवाजाही भी आसान होगी।
पिंक मेट्रो के आगाज से राजौरी गार्डन और साउथ कैम्पस स्टेशन पर इंटरचेंज के लिए पहली बार, फुट ओवर ब्रिज पर ट्रैवेलेटर्स की सुविधा भी की गई है। मेट्रो सूत्र के अनुसार बहरहाल राजौरी गार्डन में यह सुविधा मिलेगी। जबकि साउथ कैम्पस स्टेशन पर जून 2018 तक चालू होगा।
मेट्रो फेज तीन के इस कॉरीडोर का यह 21.56 किलोमीटर लम्बा मजलिस पार्क-दक्षिणी कैम्पस सेक्शन उत्तरी दिल्ली, रिंग रोड और दक्षिण दिल्ली के आरके पुरम, सत्य निकेतन, मोती बाग जैसे इलाकों के बीच कनेक्टिविटी बढ़ाने में काफी मदद करेगा। इस सेक्शन के खुलने पर दिल्ली विश्वविद्यालय के साउथ कैम्पस और नॉर्थ कैम्पस मेट्रो से जुड़ सकेंगे। इससे समय की बचत होगी और छात्र आसानी से कॉलेज पहुंच सकेंगे।
पिंक रूट दिल्ली मेट्रो की दूसरी लाइन होगी, जिसे संचार आधारित ट्रेन नियंत्रण (सीबीटीसी) तकनीक से चलाया जाएगा।
इस कॉरीडोर की लंबाई 21.56 किलोमीटर है, जिसमें स्टेशन 12 हैं-
मजलिस पार्क (एलिवेटेड), आजादपुर (अंडरग्राउंड), शालीमार बाग (अंडरग्राउंड), नेताजी सुभाष प्लेस (अंडरग्राउंड), शकूरपुर (एलिवेटेड), पंजाबी बाग वेस्ट (एलिवेटेड), ईएसआई अस्पताल (एलिवेटेड), राजौरी गार्डन (एलिवेटेड), मायापुरी (एलिवेटेड), नारायणा विहार (अंडरग्राउंड), दिल्ली कैंट (एलिवेटेड) और दुर्गाबाई देशमुख साउथ कैम्पस (एलिवेटेड)। इन 12 स्टेशनों में से 4 स्टेशन अंडरग्राउंड और 8 स्टेशन एलिवेटेड हैं।
उल्लेखनीय है कि 21 किलोमीटर के इस रुट को शुरु करने के लिए करीब तीन सौ झुग्गियों को हटाया गया था। पंजाबी बाग के महात्मा गांधी शिविर में 229 झुग्गियां और मायापुरी के जवाहर शिविर में 150 झुग्गियां थीं। वर्ष 2016 के मध्य में डीएमआरसी को जमीन उपलब्ध कराए जाने के बाद इन हिस्सों पर काम किया जा सका।

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