दिल्ली: वारदात के पूरे 25 लाख रकम के साथ ‘डिक्कीबाज़ गैंग’ का सरगना गिरफ्तार, सब इंस्पेक्टर शंभु कुमार झा की टीम ने धरा

नई दिल्ली। राजधानी में ताबड़तोड़ वारदातों से दिल्ली पुलिस की नींद उड़ा रखे अंतराज्यीय ‘डिक्कीबाज़ गिरोह’ के सरगना गट्टू को उसके एक अन्य प्रमुख सहयोगी अजय के साथ गिरफ्तार कर लिया गया है। इन दोनो शातिर अपराधियों की गिरफ्तारी से पिछले दिनों दिल्ली के सराय रोहिल्ला थाना क्षेत्र स्थित शास्त्री नगर इलाके से इनके द्वारा किये गए वारदात के पूरे 25 लाख नक़द की बरामदी के साथ वारदात में इस्तेमाल एक बाइक की भी बरामदगी की खबर है। निःसंदेह यह दिल्ली पुलिस की एक बड़ी कामयाबी है।

सब इंस्पेक्टर शंभु कुमार झा


यह कामयाबी मिली है, सराय रोहिल्ला थाना के SHO इंस्पेक्टर लोकेंद्र सिंह के निर्देशन तथा तेज-तर्रार सब इंस्पेक्टर शंभु कुमार झा के नेतृत्व में गठित एक विशेष पुलिस टीम को। पुलिस टीम में कांस्टेबल आशीष, अमित, रईस, महिपाल व बाबूलाल शामिल थे।
पुलिस टीम के हत्थे चढ़े दोनो आरोपी गट्टू व अजय को गुजरात के अहमदाबाद से गिरफ्तार किया गया है। इनमे गट्टू अहमदाबाद का, जबकि अजय महाराष्ट्र का रहने वाला है। इनकी गिरफ्तारी से दिल्ली के एक सनसनीखेज मामले का अबतक खुलासा हुआ है। जबकि यहां के तीन अन्य मामले जल्द खुलेंगे, ऐसी खबर आ रही है। बता दें, इनके खिलाफ चोरी व स्नैचिंग के करीब दो दर्जन मामले देश के विभिन्न राज्यों में दर्ज हैं।
पुलिस सूत्र के अनुसार यह गिरोह वारदात में हथियार का इस्तेमाल नही करता था। ‘मास्टर की(मास्टर चाबी)’ से यह वारदात को अंजाम देते थे। जानकारी के लिये बता दें, अहमदाबाद में इन दोनों की गिरफ्तारी में अहमदाबाद क्राइम टीम का भी दिल्ली पुलिस को पूरा सहयोग मिला।
इस गिरोह के निशाने पर थे, देश के विभिन्न इलाकों में हवाला से लेन-देन करने वाले लोग व बैंक से मोटी रकम निकालने वाले लोग, जिन्हें यह पहले चिन्हित करते। फिर रेकी कर, पीछा करते व उपयुक्त अवसर मिलते ही रास्ते में किसी बहाने से शिकार को रोककर उसे बातचीत में उलझा लेते। इसी दौरान गिरोह का एक सदस्य मास्टर चाबी से शिकार के वाहन का दरवाजा खोलकर उसके अंदर से रुपयों भरा बैग लेकर चंपत हो जाता था।
वारदात के लिये गिरोह के सदस्य अहमदाबाद से हवाई जहाज से आते थे। जबकि वारदात में इस्तेमाल के लिये एक स्कूटी व दो बाइक पार्सल के जरिये मंगवाते थे। इनके यह तीनों वाहन गुजरात नम्बर के होते, जिनपर यह दिल्ली आने पर फेंक नम्बर प्लेट लगाकर वारदात को अंजाम देते थे। वारदात के बाद गिरोह सदस्य पुनः हवाई जहाज से गुजरात लौट जाते। साथ ही वारदात में इस्तेमाल अपने वाहन भी पार्सल के जरिये अहमदाबाद मंगवा लेते थे। यही वजह था, गिरोह दिल्ली पुलिस की नजरों से अबतक बचा था।
वारदात के दौरान, जब यह चिन्हित शिकार को अपने वाहन में पैसा रखकर निकलते देखते, तो उसके पीछे लग जाते। इस दौरान गिरोह के दो सदस्य स्कूटी पर सावधानी पूर्वक शिकार की बाइक या कार के पीछे चल रहा होता, जबकि दो बाइक पर गिरोह के दो-दो सदस्य शिकार के वाहन से आगे रहते। रास्ते मे जैसे ही उपयुक्त अवसर मिलता, शिकार के आगे चल रहे दो बाइक पर सवार गिरोह सदस्य किसी बहाने शिकार को वाहन रोक देने पर विवश कर, उसे बातचीत में उलझा लेते। इसी दौरान पीछे से स्कूटी से आ रहे गिरोह के दोनो सदस्य मास्टर चाबी से शिकार की कार का दरवाजा खोल लेता या उसकी बाइक की डिक्की खोल लेता। फिर उसके अंदर से रुपयों भरा बैग लेकर चंपत हो जाता था।