मुंबई में किसानों का आंदोलन

किसानों की कर्ज माफी, न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने और स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों को लागू करने की मांग को लेकर महाराष्ट्र के किसानों का एक बड़ा जत्था मुंबर्इ में विधानसभा का घेराव करने के लिए पहुंच गया है। विधानसभा का घेराव करने से पहले सोमैया मैदान में एकत्र किसानों का कहना है कि फडनवीस सरकार ने पिछले साल किये गये 34000 करोड़ रुपये की कर्जमाफी के वादे को अभी तक पूरा नहीं किया है। किसानों की ओर से कर्ज माफी समेत अन्य मांगों को लेकर उठाये गये इस कदम से महाराष्ट्र की राजनीति में उबाल आ गया है। किसानों के मुंबई पहुंचते ही कई राजनीतिक पार्टियों ने उनकी इस पदयात्रा का समर्थन भी किया है। सत्ता में बैठी शिवसेना की ओर से आदित्य ठाकरे और एकनाथ शिंदे ने किसानों को संबोधित किया।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के किसान मोर्चे अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) की अगुवाई में यह विरोध मार्च नासिक से मुंबई के लिए रवाना हुआ था। हाथों में लाल झंडा थामे ये किसान ऑल इंडिया किसान सभा समेत तमाम संगठनों से जुड़े हैं। इस मार्च में किसानों के साथ खेतिहर मज़दूर और कई आदिवासी शामिल हैं।

किसानों को अश्वासन दिया कि सरकार उनकी मांगों को लेकर सकारात्मक

किसानों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सरकार ने भी अपनी तरफ से कैबिनेट मंत्री गिरीश महाजन को किसानों से बातचीत करने भेजा, जिन्होंने किसानों को अश्वासन दिया कि सरकार उनकी मांगों को लेकर सकारात्मक है। महाजन ने कहा कि मुख्यमंत्री के साथ इनकी चर्चा होने वाली है। इनके जो सभी कार्यकारणी सदस्य हैं या फिर प्रमुख हैं, वे मुख्यमंत्री के साथ वार्ता करेंगे. मुझे लगता है इस वार्ता से कुछ सकारात्मक चीजें निकलकर सामने आयेंगी।

सरकार किसानों से बात कर अपनी छवि सुधारने की कोशिश
सरकार ने किसानों के प्रतिनिधियों के साथ भी बैठक कर किसानों के मांगों पर चर्चा की और लगभग हर मांग को मानने की बात भी कही, लेकिन किसान नेताओं का कहना है कि सरकार किसानों से बात कर अपनी छवि सुधारने की कोशिश कर रही है। ऑल इंडिया किसान सभा के सदस्‍य डॉ आर रामकुमार ने कहा कि सरकार ने यह स्वीकार कर लिया है कि उनकी नीतियां गलत हैं, जिसकी वजह से किसान संकट में हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोग किसानों के इस विरोध-प्रदर्शन को अपना समर्थन देकर अपनी वाहवाही लूटना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि राजनीति के इस खेल को वह भली-भांति समझ रहे हैं।
मुंबर्इ के सायन स्थित सोमैया में रुके इन किसानों और इनके संगठन के नेताओं से भाजपा को छोड़कर सूबे के तमाम राजनीतिक दलों के लोगों ने संपर्क स्थापित कर समर्थन देने का भरोसा दिया है। अब देखना यह है कि सोमवार के किसानों के इस प्रदर्शन में तथाकथित तौर पर किसानों को समर्थन देने वाले राजनीतिक दलों का रवैया क्या रहता है।

 

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*