दिल्ली में ‘सड़क’ पर घुम रहे गुंडे!

नई दिल्ली।

राजधानी में निजी वाहनों पर सफर करने वाले हो जाएं सावधान! वरना आप हो सकते हैं, किसी अनहोनी घटना के शिकार! जी हां जनाब, राजधानी में अपराधियों के हौंसले बुलंद हैं। इन दिनों यहां सड़क पर बेखौफ अंदाज में घूम रहे हथियारबंद गुंडे! इन्हें किसी शक्स की हत्या करने तक से गुरेज नही।

ताजा मामला उत्तर पश्चिम दिल्ली के जहांगीरपुरी थाना क्षेत्र की है, जहां बीती रात रोड रेज में राह चलते इको पर सवार गुंडों ने थोड़ी कहासुनी के बाद एक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी। मृतक की शिनाख्त का 44 वर्षीय विनोद मेहरा के रूप में हुई है। बहरहाल स्थानीय पुलिस ने इस बाबत अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। खबर लिखी जाने तक आरोपी पुलिस के हाथ नही आये थे।

खबर के अनुसार, घटना उस समय घटी, जब गीता कॉलोनी निवासी मृतक अपने भांजे कुणाल के साथ अलीपुर से अपने एक दोस्त की बेटी की शादी में शरीक होकर वेगनर कार में वापस घर लौट रहे थे। बताया जा रहा है कि मृतक गीता कालोनी इलाके में कांग्रस के सेवादल के कार्यकर्ता थे, जबकि पत्नी दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच में इन्वेस्टीगेशन ब्रांच में तैनात है।

सूत्र का कहना है कि रास्ते मे स्वरूप नगर इलाके में मृतक की कहासुनी एक इको वेन में सवार चार युवकों से हुई कि आप अपनी गाड़ी ठीक से नही चला सकते। यह बात इको वेन में सवार युवकों को नागवार लगी । इसके बाद उन्होंने करीब तीन किलोमीटर पीछा कर मृतक के वेगनर कार को ओवरटेक करते हुए उनकी कार रोक दी। फिर इको में सवार एक व्यक्ति नीचे उतरकर आया और मृतक विनोद मेहरा से नीचे उतरने को बोला। इसपर मृतक के भांजे ने उनसे नीचे उतरने से मना कर दिया। तभी इको वेन से एक अन्य युवक उतरकर सामने आया औऱ उसने अचानक कार चला रहे विनोद मेहरा की छाती में गोली मार दी। इसके बाद बदमाश वहां से भाग निकले थे। घटना के मृतक के भांजे कुणाल ने ‘पुलिस नियंत्रण कक्ष’ को फोन किया। लेकिन तभी कुणाल की ट्यूशन टीचर भी उसी शादी समारोह से आ रही थी। उसने कुणाल को देखा, तो वह भी रुक गयी। इसके बाद कुणाल, कुणाल की ट्यूशन टीचर ओर उनके पति घायल को अपनी गाड़ी में डालकर थाना तिमारपुर लेकर गए, जहां पर उन्होंने पुलिस को घटना की जानकारी देने के साथ आरोपियों की एको कार का नम्बर भी बताया। लेकिन पीड़ित परिवार की मानें, तो पुलिस ने मामले को गंभीरता से नही लिया और घायल को सिविल लाइन स्थित संत परमानंद अस्पताल ले जाने की सलाह दी। जब घायल को अस्पताल ले जाया गया, उसकी मौत हो चुकी थी। ध्यान देने की बात यह है कि यदि तिमारपुर पुलिस ने समय रहते मामले को गंभीरता से लिया होता, तो शायद मृतक की जान बच सकती थी।

यह राजधानी में इस तरह की पहली घटना नही है। पहले भी इस तरह की कई घटनाएं घट चुकी हैं। बावजूद इस तरह की घटनाओं पर अंकुश के लिए सकारात्मक पहल का अभाव, निःसंदेह दिल्ली पुलिस की कार्यप्रणाली को कठघरे में खड़ा करता है।

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