दिल्ली: सोशल मीडिया यूजर्स को घर बैठे लाखों रुपये कमाने का आकर्षक सब्जबाग दिखाने वाले गिरोह का खुलासा, दक्षिण पश्चिम दिल्ली ऑपरेशन सेल के ACP अभिनेन्द्र जैन की टीम की कामयाबी

नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे शातिर गिरोह का खुलासा किया है, जो भोले-भाले लोगों को एक मोबाइल एप के जरिये लाइक व शेयर करने पर, रुपये मिलने का झांसा देकर ठगी का शिकार बनाते थे। जबकि गिरोह का मास्टरमाइंड दुबई में बैठा था। मामले में गिरोह के सात मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।

जांच दल में शामिल अधिकारी गण

यह कामयाबी मिली है, अबतक 80 से ज्यादा सनसनीखेज मामलों का खुलासा कर चुके दक्षिण पश्चिम दिल्ली ऑपरेशन सेल के ACP अभिनेन्द्र जैन के निर्देशन तथा जिला साइबर सेल के इंस्पेक्टर रमण कुमार सिंह के नेतृत्व में गठित एक विशेष पुलिस टीम को। पुलिस टीम में तेज-तर्रार सब इंस्पेक्टर प्रभात, नीरज, देवेंद्र, मुकेश, हेड कांस्टेबल वीरेंद्र, सतीश, हरिओम, डालचंद, कांस्टेबल बसंत, नंद किशोर, नवीन व महिला कांस्टेबल पूनम शामिल थी।

ठगी का जाल

पकड़े गए उपर्युक्त सातों आरोपियों की पहचान भीम कुमार, जितेंद्र कुमार, रोहित कुमार, अरुण कुमार, सागर शर्मा, राजीव अग्रवाल व रवि कुमार के रूप में हुई है। पुलिस टीम ने जांच के दौरान इन आरोपियों को टेक्निकल व मैनुअल सर्विलांस के माध्यम से एक-एक कर, दिल्ली के अलग-अलग इलाकों से गिरफ्तार किया है। लेकिन कड़ी मशक्कत के बाद।

ACP अभिनेन्द्र जैन

बता दें कि अबतक सैकड़ों लोगों को ठगी का शिकार बना चुके, गिरोह के इस रैकेट की शिकायत, एक सोशल मीडिया यूजर ने ट्विटर पर दिल्ली पुलिस को दी थी। साथ ही उसने लाइक एप के बारे में बताया था।
पुलिस टीम ने गिरफ्तार सातों आरोपियों के 30 बैंक खातों को सीज किया है, जिसमे ठगी के करीब 10 करोड़ रुपये जमा हैं। इसके अलावा आरोपियों से ठगी में इस्तेमाल एक लैपटॉप, 19 मोबाइल फोन व रुपयों की लेन-देन की एक डायरी की भी बरामदगी हुई है।
गिरफ्तारी के बाद सातों आरोपियों ने अपने खुलासे में बताया कि उन्होंने दुबई में बैठे गिरोह के सरगना के साथ मिलकर एक मोबाइल एप्लिकेशन तैयार करवाया था। ‘लव लाइफ’ नाम की इस एप्लिकेशन के माध्यम से वह सोशल मीडिया पर यूजर्स को घर बैठे हजारों लाखों रुपये कमाने का लालच देते थे। जिसमें उन्हें सिर्फ फेसबुक इंस्टाग्राम चलाते हुए कुछ पोस्ट को लाइक व शेयर करने को कहा जाता था। इसके लिये पहले मेम्बरशिप लेनी होती थी, जोकि 10 से 15 हजार रुपये तक होती थी। जितना अधिक का मेंबरशिप, उतना अधिक कमीशन दिए जाने का लालच दिया जाता था।