दिल्ली: हिंदी साहित्य के हस्ताक्षरित नाम राजीव रंजन शर्मा (रामदरबारी) जी की राष्ट्रहित में समर्पित एक व्यंग्यात्मक संग्रह

मित्रगण!!
आपसे निवेदन है कि हिंदी साहित्य में हस्ताक्षरित नाम राजीव रंजन शर्मा (रामदरबारी) जी की राष्ट्रहित में समर्पित इस व्यंग्यात्मक कविता को पढ़ें व अपनी राय अवश्य दें। यह एक हकीकत है। पढ़े लिखे लोगों के हाथ में सत्ता होने से ही जन कल्याण संभव है।

गधा बना बाप
मानवों का नकल जानवरों ने किया!
और नेता चयन का फैसला किया!!
सभी दल चुनावी जंग में कूद पड़े!
सभी अपनी रणनीति बनाने लगे!!
शेर मंडली ने प्रस्ताव पास किया!
कोई जानवर अब मारा नहीं जाएगा!!
एकदम हाहाकार सा मच गया!
क्या अब शेरगण भूखा रह पायेगा!!
दबी जुबानों से सभी जानते!
चुनावी वादे कहाँ निभाये जाते!!
गधों ने भी अपनी सभा बुलाई!
अत्यंत गुप्त रणनीति बनाई!!
शेरों से गधों का समझौता हुआ!
गधों ने मुफ्त राशन का वादा किया!!
आखिरकार गधों की सरकार बनी!
पूरे जंगल में फिर हाहाकार मची!!
गधों की गुप्त नीति कामयाब हुई!
जंगल में व्याधियों की भरमार हुई!!
इसी का नाम तो राजनीति है!
जहाँ गधा बाप बन जाता है!!
जहाँ गधा बाप बन जाता है!!

  • राजीव रंजन शर्मा
    रामदरबारी