दिल्ली: 200 लोगों को शिकार बना चुके एक बड़े ‘सेक्सटॉर्शन रैकेट’ का खुलासा, क्राइम ब्रांच के जॉइंट सीपी बी के सिंह के मार्गदर्शन व ACP गिरीश कौशिक के निर्देशन में गठित टीम की कामयाबी

नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने मेवाती अपराधियों द्वारा संचालित एक ऐसे ‘सेक्सटॉर्शन रैकेट’ का खुलासा किया है, जो पिछले कुछ माह में 200 से ज्यादा लोगों को अपना शिकार बना चुका है। मामले में गिरोह के मास्टरमाइंड शातिर लुटेरा/ठग बरकत अली को धरा गया है, जिससे वारदात में इस्तेमाल मोबाइल फोन की बरामद भी हुई है।
यह कामयाबी मिली है, दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच के जॉइंट सीपी बी के सिंह के मार्गदर्शन तथा दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच (IGIS) के ACP गिरीश कौशिक के निर्देशन व इंस्पेक्टर(अब ACP) रिछपाल सिंह के नेतृत्व में गठित एक विशेष पुलिस टीम को। पुलिस टीम में तेज-तर्रार इंस्पेक्टर संजय कुमार, सब इंस्पेक्टर महावीर सिंह, थानेदार ब्रजलाल, मुकेश, हेड कांस्टेबल प्रवीण, राजीव सहरावत, धर्मराज, सुरेंद्र, योगेश, कांस्टेबल सुनील, मिंटू व श्याम शामिल थे। पुलिस टीम ने अपराधी को गुरुग्राम (हरियाणा) स्थित KMP के निकट से पकड़ा है। लेकिन कड़ी मशक्कत के बाद।

जॉइंट सीपी बी के सिंह (क्राइम ब्रांच, दिल्ली पुलिस)

पकड़े गए अपराधी की पहचान 23 वर्षीय बरकत अली, पुत्र हसन मोहम्मद, निवासी गांव गुरकसर, थाना हथीन, जिला पलवल (हरियाणा) के रूप में हुई है। इसपर पहले से भी लूट के मामले दर्ज हैं। इसके द्वारा अंजाम दिए गए मुख्य वारदातों में कर्नाटक के मैसूर की एक बड़ी लूट सितंबर, 2020 की है। उक्त घटना में इसने अपने साथियों के साथ मिलकर गैस कटर व अन्य टूल की मदद से HDFC बैंक के एक ATM मशीन को तोड़कर 12.86 लाख रुपये की लूट की घटना को अंजाम दिया था।

ACP गिरीश कौशिक (क्राइम ब्रांच, दिल्ली पुलिस)

शिकार को फांसने के लिये यह गिरोह सोशल साइट्स के विभिन्न ऐप पर नाम व फोटो के साथ स्मार्ट व खूबसूरत लड़कियों की फर्जी आईडी बनाता। फिर उस आईडी से अमीरों को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजता। दोस्त बनने पर विश्वास में लेकर उनसे(शिकार) व्हाट्सअप नंबर आदान-प्रदान करने में सफल हो जाता। कुछ दिन इनके बीच मधुर वार्तालाप चलता। इसके बाद चतुराई से गिरोह की एक लड़की अपने कपड़े उतारती और वह शिकार को भी अपने कपड़े उतार लेने के लिये आमंत्रित करती। फिर हनी ट्रैप में फंसकर शिकार भी अपने कपड़े उतार लेता। इस प्रकिया के दौरान आरोपी एक विशिष्ट ऐप द्वारा शिकार की कैमरा स्क्रीन रिकार्ड कर लेता। फिर कुछ समय बाद आरोपी खुद को यूट्यूबर बताकर शिकार को उसका अश्लील वीडियो भेजकर पैसे की डिमांड करता। आरोपी डिमांड की रकम हस्तांतरित करने के लिए शिकार को एक बैंक एकाउंट नंबर देता और धमकी देता कि डिमांड की रकम हस्तांतरित नही होने पर अश्लील वीडियो वायरल कर देंगे। इस धमकी से शिकार घबरा जाता और समाज व रिश्तेदारी में अपनी छवि खराब होने की वजह से वह डिमांड की रकम दे देता था।
बता दें कि आरोपी द्वारा डिमांड मात्र पंद्रह हजार रुपया का किया जाता, ताकि आरोपी अपनी प्रतिष्ठा धूमिल होने की डर से पुलिस में शिकायत दर्ज करने की बजाए जबरन वसूली के पैसे का भुगतान करना पसंद करे।
शुरुआती जांच में पता चला है कि इस गिरोह के शिकार कई नामचीन लोग भी बन चुके हैं। बहरहाल पुलिस टीम की तफ्तीश जारी है। मामले में कुछ और गिरफ्तारियां होनी है। इस दिशा में पुलिस टीम का प्रयास लगातार जारी है।