दिल्ली: अंतरराज्यीय चीटिंग में संलिप्त गिरोह का नायक नायिका गिरफ्तार, क्राइम ब्रांच(IGIS) के ACP गिरीश कौशिक की टीम ने धरा

नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने चीटिंग के धंधे में संलिप्त एक ऐसे अंतरराज्यीय गिरोह का खुलासा किया है, जो भोले भाले लोगों को इंश्योरेंस बोनस, टावर इंस्टॉलेशन सहित अन्य तरह का झूठा आकर्षक सब्जबाग दिखाकर, उनकी जेब पर डाका डालता था। मामले में गिरोह के मास्टरमाइंड बृजभूषण शर्मा उर्फ विशाल शर्मा व धंधे में इसकी एक प्रमुख महिला सहयोगी नीतू पाठक की गिरफ्तारी के बाद इनके इस गोरखधंधे का खुलासा हुआ। ऐसे में इनकी गिरफ्तारी निःसंदेह दिल्ली पुलिस की एक बड़ी कामयाबी है।
यह कामयाबी मिली है, दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच(IGIS) के ACP गिरीश कौशिक के निर्देशन तथा इंस्पेक्टर यशपाल सिंह के नेतृत्व में गठित एक विशेष पुलिस टीम को। पुलिस टीम में सब इंस्पेक्टर अरुण छिकारा, ASI जयवीर, गोविंद, हेड कांस्टेबल बद्री प्रसाद, कुलदीप, कांस्टेबल रविन्द्र, राहुल व सतपाल शामिल थे।

आरोपी


दोनो आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद इनके पास से फेक डाकोमेंट के अलावा चीटिंग की वारदात में इस्तेमाल के कई समान मिले हैं। बरामद सामानों में एक लैपटॉप, इनके द्वारा शिकार को फांसने में इस्तेमाल तीन मोबाइल फोन, इनके द्वारा इनकम टैक्स व अन्य दस्तावेज बनाने में प्रयुक्त होने वाला एक मोबाइल फोन, चार जाली वोटर आई कार्ड, तीन पेन कार्ड के अलावा कई डाकोमेंट प्रमुख हैं।
पुलिस टीम के हत्थे चढ़े दोनो आरोपियों में गिरोह का सरगना 34 वर्षीय बृजभूषण शर्मा उर्फ विशाल शर्मा उत्तरप्रदेश के मोदी नगर इलाके का रहने वाला है। इसने फाइनल ईयर में कालेज छोड़ दिया था। जानकारी के लिए बता दें, कि यही वह शख्स था, जो फोन कर शिकार को झूठा आकर्षक सब्जबाग दिखाकर उन्हें अपनी जाल में फांसता था। जबकि इसकी महिला सहकर्मी व अबतक अविवाहित 32 वर्षीया नीतू पाठक गोयलापुरी, मोदी नगर, यूपी की रहने वाली है। बता दें, पोस्ट ग्रेजुएट कर रखी नीतू पाठक फेक डाकोमेंट बनाने में माहिर है। इसका मुख्य काम गिरोह के लिये फेक डाकोमेंट बनाना और उस फेक डाकोमेंट पर बैंक में खाता खुलवाना था।

ACP गिरीश कौशिक

कैसे हुआ गिरोह का खुलासा-

25 मई, 16 को दिल्ली के उत्तम नगर थाने में भारतीय सेना से अवकाश प्राप्त रूप सिंह ने एक शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के अनुसार, रूप सिंह के पास फरवरी, 16 में एक अनजाना फोन कॉल आया। फोनकर्ता ने रूप सिंह को कुछ इंश्योरेंस स्कीम के बारे में जानकारी देते हुए बताया, कि आप इनमे पैसा निवेश करोगे, तो रिटर्न अच्छा मिलेगा। बातचीत के दौरान रूप सिंह को बताए गए स्कीम में एक स्कीम पसंद आ गया और उन्होंने उस स्कीम में पैसा लगाने के लिए अपनी सहमति दे दी। इसके बाद रूप सिंह ने फोनकर्ता के द्वारा बताए गए दिशा-निर्देश पर अपना 25 लाख 7 हजार 260 रुपया उस स्कीम के लिए जमा करा दिया। फोनकर्ता ने रूप सिंह से उक्त सारे रकम अलग-अलग एकाउंट में जमा कराए, जो दो कंपनियों ‘पी आर इंफ्रा’ व ‘के एम आई सर्विसेज’ के नाम थे।

इंस्पेक्टर यशपाल सिंह


रूप सिंह द्वारा उपर्युक्त रकम विभिन्न एकाउंट में जमा कराने के बाद फोनकर्ता ने अचानक रूप सिंह से संबंध विच्छेद कर अपना फोन भी बंद कर दिया। फिर रूप सिंह को खुद के ठगे जाने का अहसास हुआ और उन्होंने इस बाबत थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
स्थानीय पुलिस ने जांच के दौरान काफी मशक्कत की, पर आरोपियों का कोई सुराग नही मिला। फिर 2019 में इस मामले की जांच का जिम्मा दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच(IGIS) के तेज-तर्रार व अनुभवी ACP गिरीश कौशिक की टीम को सुपुर्द कर दिया गया।
जांच के दौरान क्राइम ब्रांच के ACP गिरीश कौशिक के निर्देशन तथा इंस्पेक्टर यशपाल सिंह के नेतृत्व में गठित एक विशेष पुलिस टीम ने सूक्ष्मता पूर्वक हर नजरिये से मामले की पड़ताल की। इस क्रम में उन मोबाइल नंबरों की जांच की गई, जिन नंबरों से आरोपी ने रूप सिंह से संपर्क किया था। लेकिन वह सभी नम्बर फेक व बंद मिले। इसके बाद उक्त सभी बैंक एकाउंट की जांच की गई, जिसमे पीड़ित से पैसा जमा कराए गए थे। लेकिन इसमें भी पुलिस टीम को कोई सुराग नही मिला, क्योंकि उक्त सभी एकाउंट फेक आईडी पर थे, जिनसे जमा की गई रकम चेक व एटीएम द्वारा निकाल लिए गए थे।
जांच के दौरान कड़ी मशक्कत के बाद पुलिस टीम को पता चला की बैंक एकाउंट्स खोलने में इस्तेमाल हुए ‘ईमेल’ में एक ‘ईमेल’ अभी प्रयोग में है। यह जानकारी पुलिस टीम के लिये एक अहम सुराग था। अब पुलिस टीम ने गूगल से डिटेल निकलवाकर उक्त ईमेल की बारीकी पूर्वक जांच की। जांच में पता चला कि जिस मोबाइल नंबर से यह ईमेल बना था, वह अभी प्रयोग में है। इतना पता चलते ही ACP गिरीश कौशिक के चेहरे पर सहसा मुस्कराहट उभर आई। उन्हें लगा, कि आरोपी अब जल्द ही धर लिए जाएंगे।
फिर पुलिस टीम ने डाटा व इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस की मदद से उक्त मोबाइल नंबर को इस्तेमाल करने वाली नीतू पाठक नामक एक महिला को मोबाइल फोन के साथ गिरफ्तार कर लिया।
नीतू पाठक की गिरफ्तारी के बाद उसकी निशानदेही पर गिरोह का मास्टरमाइंड बृजभूषण शर्मा उर्फ विशाल शर्मा भी धर लिया गया, जिससे कई फेक डाकोमेंट व वोटर आईडी मिले।
नीतू पाठक ने गिरफ्तारी के बाद अपने खुलासे में बताया कि वह गिरोह के लिये फेक डाकोमेंट(वोटर आईडी व पेन कार्ड आदि) बनाती थी व इन्हीं कामो के लिये उसने यह फोन ले रखा था, जिससे वह अपना ईमेल बना रखी थी व इसका इस्तेमाल भी करती थी।
बृजभूषण शर्मा ने अपने खुलासे में बताया कि उसने पढ़ाई छोड़ने के बाद शुरुआत में एक कॉल सेंटर में टेली कॉलर का काम किया। लेकिन नौकरी उसे रास नही आई, क्योंकि उसकी हसरत शार्ट कट रास्ते से जल्द अमीर बनने की थी। फिर उसने इसी चाहत में वर्ष 2013-14 में नीतू पाठक, दुष्यंत भारद्वाज, कृष्ण शर्मा व सौरव के साथ मिलकर फेक कॉल सेंटर खोलने का निर्णय लिया। इसके बाद उसने दो फेक कंपनी बनाकर गाजियाबाद में किराए पर एक ऑफिस ले लिया, जहां से उसने ठगी का धंधा शुरू किया। मास्टरमाइंड शर्मा ने बताया कि वर्ष 2016 में पुलिस उसे खोजने लगी, तो उसने ऑफिस बंद कर दिया व गायब हो गया था। इसके बाद उसके गिरोह के सदस्य भी इधर-उधर हो गए थे।
बहरहाल दोनो गिरफ्तार आरोपी न्यायिक हिरासत मे हैं। जबकि अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिये पुलिस टीम का प्रयास जारी है।